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बिषय
विरेचन का अयोगायोग लक्षण विरेचन के अतियोग का लक्षण विरेचन के पीछे का उपचार औषधि सेवनान्तर उपनावादि संशोधन के पीछे पेयादि पेयादि कृम के अयोग्य रोगी औषधि के वचने की अनावश्यकता वमन विरेचन की विरुद्धता में कर्त्तव्य स्वतः विरेचन का उपचार दुर्बल की औषधि
दुर्बल के अल्पदोष की चिकित्सा मंदाग्नि और कूट कोष्ट का शोधन रूक्षादि का विरेचन
एकोनविंशोऽध्याय |
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नेत्र की दवाई
नेत्र की मु
नेत्र के छिद्र का प्रमाण
अष्टांगहृदयकी
पृष्टांक, | विषय १६३
नेत्र काका आदिकी योजना
वस्तिके अभाव में कर्तव्य निरूहवस्ति की मात्रा अनुवासनवस्तिकी मात्रा
अनुवासन का प्रकार बस्ति प्रयोग की विधि वस्ति के पीछे की क्रिया स्नेह निवृति
स्नेह निवृति के पीछे का कर्म
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अनुवासन का काल निरूह का काल निरूह की कल्पना
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१६४ | दोष परता में स्नेह का प्रमाण
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१६५
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पथ्य का कारण
विष पीडित व्यक्ति का विरेचन बिरेचन का प्रकार स्नेहादि का बार बार प्रयोग
अनुवासन देने का काल
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अनुवासित के लक्षण
शोधन औषध द्वारा मलका निकालना १६६ अनुवासन का सम्यकू योग
स्नेह स्वेद विना शोधन से हानि
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संशोधन का फल
अनुवासन की संख्या अनुवास्तनवस्ति वाले का भोजन बातरोग में वस्ति
पित्तरोग में वस्ति
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१६७ कफरोग में वस्ति
वस्ती के भेद
निरुण वस्ती के अयोग्य रोगी अनुवासन के योग्य रोगी
निरूह तथा अन्वासन यंत्र के लक्षण,
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१६९
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१६८ | अन्य कारण
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स्नेह निवृति का काल
स्नेह के न निकलने पर कर्त्तव्य
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अन्य नियमादि
वस्ति की योजना
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सन्निपात में वस्ति चौथी बस्ति का निषेध
उपसंहार
मात्र वस्ति के लक्षणादि
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१७१ | उत्तर वस्ति का विधान
उभयपक्ष में प्रमाणत्व
पृष्ठाक;
अन्यमत
निरूहण के पीछे का कर्म निरूह की अवधि
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स्वयं निरूह के निकलने पर कर्त्तव्य १७४
निरूह के लक्षण और पथ्यादि
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उत्तर वस्ति के नेत्र का परिमाण
उत्तर वस्ति की मात्रा
उत्तर वस्ति के प्रयोग की विधि
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१७२
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१७६
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१७३
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१७५
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ग्रंथकार का मत
कर्म वस्तियों की संख्या
काल वस्ति तथा योग वस्ति
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एक प्रकारकी वस्तिओंके सेवनका योग,,
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१७६
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१७७
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