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अष्टांगहृदयकी
३
बिषय पृष्टांक. बिषय
पृष्टांक. संचय काल में दोष शाद्ध का निषेध ,, | पित्तनाशक द्रव्य शोधन का अन्य काल
कफनाशक द्रव्य अति शीतोष्ण काल में कर्तव्य
जीवनीय गण औषध का समय
विदारी गण रोग परत्व से औषधि काल
सारिवादि गण ... चतुर्दशोऽध्याय |
दुग्ध वर्धक द्रव्य दो प्रकार के उपचार
तृषादिनाशक औषध स्नेहआदि कर्म को द्विविधत्व
विषादि नाशक अपतर्पण के भेद
कफादि नाशक द्रव्य संशोधन के लक्षण और भेद
गुडूच्यादि गण शमन के लक्षण
आरग्वधादि गण वायु आदि का शमन
असनादि गण . वृहण के योग्यमनुष्य
वरणादि गण वृहण औषध
ऊषकादि गण लंघन के योग्य मनुष्य
बरितरादिगण शोधन का निरूपण
रोधादिगण वृहाय और लंघनीय १३३
अर्कादिगण हित लंधित के लक्षण
सुरसादिगण लंधित के लक्षण
| मुश्ककादिगणं लंघन वृहण की अनपेक्षित मात्रा
वत्सकादिगण अति स्थाल्यौदि का वर्णन
बचहारिद्रादिगण अति स्थौल्यादि की चिकित्सा १३४
प्रियांबादि, अयष्ठादि अन्य औषध अति लंघन से उत्पन्न रोगों का वर्णन ,
मुस्तादिगण
न्यग्रोधादिगण कृशता को श्रेष्ठत्व
एलादिगण दसरा कारण
श्यामादिगण कृश की औषध
प्रयोगबिधि मांस खाने से स्थूलता
पानादि प्रकार से रोगनाशत्व स्थूलकश की सामान्य चिकित्सा , चिकित्सा को द्विविधत्व
षोडशोऽध्यायः । पंचदशोऽध्यायः ।
स्नेह विरूक्षण का स्वरूप यमन कारक द्रव्य
१३६
स्नेहनमें घृतादि की उत्तमता वैरैचनिक द्रव्य
१३७
घृतादि को पित्तनाशकता निरूहण द्रव्य
घृतकी अपेक्षा तैलादिको गुरुत्व शिरोविरेचन द्रव्य
यमकस्नेहादिका निरूपण वातनाशक द्रव्य
।। स्नेहनयोग्यों का निरूपण
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