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विषय
स्नेहन के अयोग्य व्यक्ति चारों स्नेह का हितकारित्व
भिन्नभिन्नस्नेहन का काल रात्रि में स्नेहन विधि स्नेह के उपयोग की विधि
स्नेह की ६४ विचारणा
अच्छपेय स्नेह
स्नेह की त्रिविध मात्रा बुभुक्षित को स्नेहोपयोग रसादिसहस्नेह प्रयोग
स्नेहपान का फल उष्णोदकपान विधि स्नेहपानान्तर भोजनादि
सेहपान की विधि स्निग्ध के लक्षण स्नेह के अनुचित प्रयोग का फल स्नेह विधि विभ्रंश में कर्त्तव्य विरूक्षण के कृताति कृत लक्षण स्नेहन के पीछे का कर्म मांसल स्नेह योग्यों का निरूक्षण बातवद्धदि का सद्यः स्नेहकरण अनुद्वेजक योगों का वर्णन कुष्ठादि में निषेध कुष्ठादि की स्नेहन विधि बारबार स्नेह का फल
सप्तदशोऽध्यायः ।
स्वेद के चार प्रकार
तापस्वेद का लक्षण उपनाहस्वेद के लक्षण स्वेदो पायभूतचर्मपट्टादि
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अनुक्रमणिका ।
पृष्टांक, | विषय
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१४५ अतिस्वेद से हानि
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स्वेदन स्तंभन औषधि स्तंभन औषधि का रस स्तंभित के लक्षण
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१४६ अति स्तंभित के लक्षण अस्वेद्यरोगी
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१४७
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१४८
१४८
१४८
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93
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22
१५०
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१५१
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१५२
ऊष्मारव्य भद्
द्रवस्वेद अवगाहन स्वेद स्वेदविधि
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कफरोग में स्वेद विधि आमशयादि व्याधेि में स्वेद व १५४
क्षणादि स्थान में स्वेद बोध स्वेदित पुरुषों का कर्त्तव्य
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अग्निरहित स्वेद स्वेदनका मुख्य कर्म अष्टादशोऽध्यायः ।
वमनावरेचन विधि
वमनोपयोगी रोगी अवमनीय रोगी
विष में बमन विधान
उक्तरोगियों को गंडूषादि निषेध विरेचन के अयोग्यं रोगी
विरेचन के योग्य रोगी
वमन करने की विधि
वमन करने वाले को परिचय दोषानुसार वमन विधि
वमन के हीन वेगमें कर्त्तव्य
अयोग का लक्षण
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१५३ मित को विरेचन
सम्यक् योगा तियोग का लक्षण
सम्यक् वमन का पश्चात् कर्म मित व्यक्ति के लिये पथ्य
पृष्टांक'
कोष्ठा नुसार विरेचन क्रम
वातादि दोष में विरेचन
विरेचन होने में कर्त्तव्य अष्टकोष्ठ में कर्त्तव्य
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११
पेयादि का क्रम
पेयादि क्रम का फल
वमन विरेचनादि के वेग का नियम
वमन विरेचन का अन्त
वमन विरेचन का माप
१५४
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95
१५५
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19
12
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93
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१५७
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१५८
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55
१५९
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१६०
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६५
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१६२
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