Book Title: Arhat Vachan 2001 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ अर्थात् - इस कुण्डलपुर नगर के गुणों का वर्णन तो इतने से ही पर्याप्त हो जाता है कि यह नगर स्वर्ग से अवतार लेते समय भगवान महावीर का आधार बनी, भगवान महावीर वहाँ स्वर्ग से आकर अवतीर्ण हुए। यहाँ विदेह देश के वर्णन से पूरा विहार प्रान्त माना गया है। उसके अन्दर एक विशाल (96 मील का) नगर था। जैसे मालवा देश में 'उज्जयिनी' नगरी, कौशल देश में 'अयोध्या' नगरी, वत्सदेश में 'कौशाम्बी' नगरी आदि के वर्णन से बड़े - बड़े जिलों एवं प्रान्तों के अन्दर राजधानी के रूप में भगवन्तों की जन्मनगरियाँ समझना चाहिये न कि आज के समान छोटे से ग्राम को तीर्थंकर की जन्मभूमि कहना चाहिये। महाकवि श्री पुष्पदन्त विरचित अपभ्रंश भाषा के ग्रन्थ 'वीरजिणिंदचरिउ' में वर्णन आया है कि - इह जंबुदीवि भरहंतरालि। रमणीय विसई सोहा विसालि। कुंडउरि राउ सिद्धत्थ सहिउ। जो सिरिहरू मग्गण वेस रहिउ॥ इन पद्यों का हिन्दी अनुवाद करते हुए डॉ. हीरालाल ने लिखा है कि - जब महावीर स्वामी का जीव स्वर्ग से च्युत होकर मध्यलोक में आने वाला था तब सौधर्म इन्द्र ने जगत कल्याण की कामना से प्रेरित होकर कुबेर से कहा - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में विशाल शोभाधारी विदेह प्रदेश में कुण्डलपुर नगर के राजा सिद्धार्थ राज्य करते हैं, ऐसे उन राजा सिद्धार्थ की प्रिय रानी प्रियकारिणी के शुभ लक्षणों से युक्त पत्र चौबीसवाँ तीर्थंकर होगा जिनके चरणों में इन्द्र भी नमन करेंगे। अतएव हे कुबेर ! इन दोनों के निवास भवन को स्वर्णमयी, कान्तिमान् व देवों की लक्ष्मी के विलासयोग्य बना दो। इन्द्र की आज्ञा से कुबेर ने कुण्डलपुर को ऐसा ही सुन्दर बना दिया। इसी प्रकरण में आगे देखें - पहुपंगणि तेत्थु वंदिय चरम जिणिंदें। छम्मास विरइय रयणविठि क्खिंदें।।7116 अर्थात - ऐसे उस राजभवन के प्रांगण में अंतिम तीर्थकर की वन्दना करने वाले उस यक्षों के राजा कुबेर ने छह मास तक रत्नों की वर्षा की। माणिक्यचन्द्र जैन बी.ए. खंडवा निवासी ने सन् 1908 में लिखी हुई अपनी पुस्तक LIFE OF MAHAVIRA (महावीर चरित्र) में कुण्डलपुर के विषय में निम्न निष्कर्ष दिये हैं - 1. The Description of the magnificence of his palace; the ceremonious rejoicings with which the birth of Mahavira was celebrated and the grandevr and pomp of his court ; make us believe that Siddhartha was a powerful monarch of his time and his metropolis ; Kundalpura ; a big popular city. अर्थात - महाराजा सिद्धार्थ के महल की भव्यता, महावीर के जन्म पर मनाई गई खुशियाँ एवं उनके राजदरबार के वैभव का वर्णन हमें इस तथ्य के लिये विश्वस्त कर देते हैं कि सिद्धार्थ अपने समय के शक्तिशाली राजा थे और उनका महानगर "कुण्डलपुर' एक बड़ा घनी जनसंख्या वाला नगर था। 10 अर्हत् वचन, अप्रैल 2001 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120