Book Title: Arhat Vachan 2001 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 13
________________ 2. As to the birthplace of Mahavira ; it is probable but not certain ; as Dr. Hoernle suggests ; that the Jaina tradition which represents Kundalpura as a large town may be correct ; in as much as Kundalpura is taken as equivalent to Vesali (Sanskrit Vaishali). He puts his birthplace at Kollaga ; another sub of Vesali ........... उपर्युक्त कथन के द्वारा लेखक श्री माणिक्यचन्द्रजी ने एक विदेशी विद्वान के द्वारा वैशाली के एक स्थान 'कोलागा' को भगवान महावीर का जन्मस्थान कहने पर अपना तर्क प्रस्तुत किया है कि 'कोलागा' को महावीर की जन्मभूमि मानना बिल्कुल अनावश्यक एवं निराधार है क्योंकि 'कुण्डलपुर' उनका जन्मस्थान निर्विवादित सत्य है जैसा कि उन्हीं के शब्दों में देखें - 'Both the Digambaras and Shvetambaras assert that Kundalpura was the place where He was borns. अर्थात दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही एकमत से कुण्डलपुर को ही महावीर स्वामी की जन्मभूमि मानते हैं। उन्होंने अपनी इसी पुस्तक में 'महावीरपुराण' का सन्दर्भ देते हुए कुण्डलपुर को एक बड़े शहर के रूप में स्वीकार किया है - अर्थात् कुण्डलपुर शहर एक बड़ी राजधानी के रूप में सर्वतोमुखी मान्यता का केन्द्र रहा है क्योंकि राजा चेटक अपनी पुत्री त्रिशला जैसी तीर्थकर जन्मदात्री कन्या का विवाह किसी छोटे - मोटे जमींदार से तो कर नहीं देते बल्कि अपने से भी उच्चस्तरीय राजघराने में ही करते। इसी बात को LIFE OF MAHAVIRA में बताया है - All these remarks go to show that Sidhharth; if not a powerful monarch ; exercised atleast ; a kingly authority; if not more to that of Chetaka.s ये कतिपय प्रमाण यहाँ महावीर की जन्मभूमि कुण्डलपुर से सम्बन्धित दिये गये हैं। अब महावीर के ननिहाल 'वैशाली' के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिये - वीरजिणिंदचरिउ ग्रन्थ की पाँचवीं सन्धि में श्री पुष्पदंत महाकवि कहते हैं कि राजा श्रेणिक ने समवसरण में गौतम गणधर से पूछा कि हे भगवन! मुझे उस आर्यिका चन्दना का चरित्र सुनाइये जिसके शरीर में चन्दन की सुगन्ध है तथा जिसने मिथ्यात्वरूपी अन्धकार को दूर कर दिया है। राजा के इस प्रश्न को सुनकर गौतमस्वामी ने कहा कि हे श्रेणिक! मैं चन्दना का वृत्तान्त कहता हूँ सो सुनो - सिन्धु - विसई वइसाली - पुरवरि। घर-सिरि-ओहामिय - सर - वर-घरि।। चेडउ णाम णरेसरु णिवसइ। देवि अखुद्द सुहद्द महासई।। 10 अर्थात् सिन्धुविषय (नदी प्रधान विदेह नामक प्रदेश) में वैशाली नामक नगर है जहाँ के घर अपनी शोभा से देवों के विमानों की शोभा को भी जीतते हैं। उस नगर में चेटक नामक नरेश्वर निवास करते हैं। उनकी महारानी महासती सुभद्रा से उनके धनदत्त, धनभद्र, उपेन्द्र, शिवदत्त, हरिदत्त, अर्हत् वचन, अप्रैल 2001 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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