Book Title: Arhat Vachan 2001 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore
View full book text
________________
छहों नेमिचन्द्र नामक विद्वान् भिन्न-भिन्न हैं। गोम्मटसारादि के रचयिता तथा द्रव्यसंग्रह के रचयिता को एक मानना प्रमाणविरूद्ध एवं असमीचीन है।
सन्दर्भ -
1. गोम्मटसार कर्मकाण्ड, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, 1973, गाथा 397. 2. द्रष्टव्य - जयधवला, अन्त्यप्रशस्ति, जैन संस्कृति सरंक्षक संघ, शोलापुर, 1987. 3. गोम्मटसार कर्मकाण्ड, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास, 1973, गाथा 436 4. वही, गाथा 785. 5. त्रिलोकसार, ब्र. लाडमल जैन, श्रीमहावीरजी, 1975, गाथा 1018. 6. लब्धिसार, हीरालाल पाटनी, निवाई, 1978, गाथा 648. 7. चन्द्रप्रभचरित, लालचन्द हीराचन्द्र दोशी, शोलापुर, अन्त्य प्रशस्ति. 8. गोम्मटसार कर्मकाण्ड, श्रीमद राजचन्द्र आश्रम, अगास, 1973, गाथा 396. 9. द्रष्टव्य - जैन साहित्य के इतिहास पर विशद प्रकाश, वीर शासन संघ, कलकत्ता,
1956. द्रष्टव्य - तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-2, अ.भा. दिगम्बर
जैन विद्वत् परिषद, सागर, 1974, पृ. 420 - 421. 11. बाहुबलिचरित्र, अन्त्य प्रशस्ति 12. तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग - 2, अ.भा. दिगम्बर जैन विद्वत्
परिषद, सागर, 1974, पृ. 422. 13. जैन साहित्य का वृहद् इतिहास, भाग - 4, पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान, 1969,
पृ. 134. 14. वृहद्रव्यसंग्रह, सन्मति दि. जैन महिला विद्यालय, सीकर, 1987, पृ. 1-2. 15. वसुनन्दिश्रावकाचार (उपासकाध्ययन), जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर, गाथा 543 - 544. 16. द्रष्टव्य - तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा, भाग - 2, अ.भा. दिगम्बर
जैन विद्वत परिषद, सागर, 1974, पृ. 441.
10.
प्राप्त - 21.9.2000
JINAMANJARI
जैन विद्या का पठनीय षट्मासिक
JINAMANJARI Editor : S.A. Bhuvanendra Kumar Periodicity • Bi-annual (April & October) Publisher • Brahmi Society, Canada-U.S.A. Contact . . Dr. S.A. Bhuvanendra Kumar
4665, Moccasin Trail, MISSISSAUGA, INTARIO, Canada 14z2w5
अर्हत् वचन, अप्रैल 2001
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120