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गतिविधियाँ तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी की इन्दौर में बैठक ।
तीर्थकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ की कार्यकारिणी की बैठक दिनांक 3 मार्च 2001 को कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुस्तकालय, इन्दौर में पं. शिवचरनलाल जैन, मैनपुरी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई जिसमें डॉ. धर्मचन्द्र जैन - कुरुक्षेत्र (उपाध्यक्ष), डॉ. नलिन के, शास्त्री - बोधगया (उपाध्यक्ष), डॉ. अनुपम जैन - इन्दौर (महामंत्री), डॉ. अभयप्रकाश जैन - ग्वालियर (प्रचारमंत्री), पं. उत्तमचन्द जैन 'राकेश' - ललितपुर, डॉ. संजीव सराफ -सागर ने भाग लिया। विशेष आमंत्रित के रूप में डॉ. प्रकाशचन्द जैन- इन्दौर, पं. जयसेन जैन- इन्दौर एवं श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल - इन्दौर भी उपस्थित थे।
डॉ. धर्मचन्द्र जैन, स्वदेवास
कुरुक्षेत्र के मंगलाचरण से बैठक कारिणी बैठक
का शुभारंभ हुआ एवं सर्वप्रथम गत बैठक दिनांक 21 मई 2000 की कार्यवाही की पुष्टि की गई। महामंत्री ने वर्ष 2000-2001 के आय - व्यय के अब तक के विवरण की प्रस्तुति के साथ ही महासंघ के अब तक बने सदस्यों की सूची प्रस्तुत कर उसकी पुष्टि कराई। डॉ. चन्द्रवीर जैन, शिकोहाबाद के आवेदन पर विचार कर उन्हें सदस्यता प्रदान
करने का निर्णय लिया गया। बैठक का एक दृश्य
महासंघ के प्रतीक चिन्ह पर विचार करने की श्रृंखला में श्री आदित्य जैन, लखनऊ द्वारा प्रस्तुत मोनो को उपयुक्त न मानते हुए भगवान ऋषभदेव द्वारा राज्यावस्था में ब्राह्मी और सुन्दरी को पढ़ाने वाले दृश्य को मोनो के रूप में स्वीकार किया गया। इसकी डिजाइन बनाने का काम डॉ. संजीव सराफ, सागर को सौंपा गया।
महासंघ की निबंध प्रतियोगिता के केन्द्रीय संयोजकद्वय डॉ. प्रकाशचन्द जैन एवं पं. जयसेन जैन ने प्रतियोगिता का पूरा विवरण प्रस्तुत किया। तदुपरांत निर्णय किया गया कि राजस्थान और म.प्र. के संयोजकों को स्थानीय स्तर पर पुरस्कार समर्पण समारोह आयोजित करने हेतु अधिकृत किया जाये। एतदर्थ पुरस्कार राशि महासंघ द्वारा निर्वाण महामहोत्सव समिति के माध्यम से प्राप्त कर उपलब्ध कराई जायेगी किन्तु केवल 2 प्रान्तों से प्रविष्ठियाँ आने के कारण केन्द्रीय स्तर पर प्रतियोगिता को निरस्त करने का निश्चय किया गया।
महासंघ द्वारा भगवान ऋषभदेव पर आयोजित संगोष्ठियों का विवरण संकलित करने का दायित्व डॉ. अभयप्रकाश जैन, ग्वालियर को सौंपा गया, एतदर्थ होने वाला पोस्टेज का खर्च महामंध द्वारा देय होगा। 'सम्पर्क' डायरेक्ट्री को अद्यतन बनाये रखने तथा पत्राचार एवं कार्यालयीन व्यवस्थाओं हेतु एक सहायक की स्वीकृति प्रदान की गई और इस पर अधिकतम रु. 1,000/- प्रतिमाह खर्च करने की स्वीकृति महामंत्री को प्रदान की गई।
भगवान ऋषभदेव पर एक प्रामाणिक पुस्तक के सृजन का दायित्व डॉ. धर्मचन्द्र जैन, कुरुक्षेत्र को दिया गया। अध्यक्ष के अनुरोध पर श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल, इन्दौर ने महासंघ का विशिष्ट संरक्षक सदस्य बनना स्वीकार किया, एतदर्थ कार्यकारिणी ने उनके प्रति आभार ज्ञापित किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ सभा विसर्जित हुई।
- डॉ. अनुपम जैन, महामंत्री
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अर्हत् वचन, अप्रैल 2001
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