Book Title: Arhat Vachan 2001 04
Author(s): Anupam Jain
Publisher: Kundkund Gyanpith Indore

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Page 86
________________ संचालन - पं. जयसेन जैन, सम्पादक - सन्मति वाणी, इन्दौर मंगलाचरण - पं. रतनलाल जैन शास्त्री, इन्दौर वक्ता डॉ. प्रकाशचन्द जैन, इन्दौर 'हिन्दी के जेन विलास काव्यों में ऐतिहासिक दृष्टि' श्री नरेशकुमार पाठक, इन्दौर 'म.प्र. का जैन पुरातत्व' 3 मार्च 2001, रात्रि 8.00 बजे - द्वितीय सत्र - परिचर्चा विषय - 'पांडुलिपियों के संरक्षण की आवश्यकता एवं सावधानियाँ' अध्यक्षता - जॅ. धर्मचन्द जैन, पूर्व प्राध्यापक - संस्कृत कुरुक्षेत्र वि.वि., कुरुक्षेत्र संचालन - डॉ. अनुपम जैन, सचिव - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर मंगलाचरण - पं. शिवचरनलाल जैन, मैनपुरी वक्ता डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज', शोधाधिकारी - जैन साहित्य सूचीकरण परियोजना, Clo. कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर डॉ. महेन्द्रकुमार जैन द्वारा विषय के प्रस्तुतीकरण के उपरान्त उपस्थित विद्वानों ने विषय पर अपने विचार रखे। 4 मार्च 2001, प्रात: 8.00 बजे - पुरस्कार समर्पण समारोह अध्यक्षता - प्रो. नरेन्द्र धाकड़, प्राचार्य - होलकर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर मुख्य अतिथि - न्यायमर्ति श्री एन.के. जैन, म.प्र. उच्च न्यायालय, इन्दौर विशेष अतिथि - श्री नेमिनाथ जैन, अध्यक्ष - प्रेस्टिज समूह, इन्दौर संचालन - डॉ. अनुपम जैन, सचिव - कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर मंगलाचरण - पं. नाथूलाल जैन शास्त्री, इन्दौर भजन - प्रो. के.के. जैन, प्राध्यापक - भौतिकी, होलकर स्वशासी विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार - 1999 डॉ. प्रकाशचन्द जैन- इन्दौर को उनके शोध प्रबन्ध "हिन्दी के जैन विलास काव्यों का उद्भव और विकास (वि.सं. 1520 से 1900 तक) पर प्रदान किया गया। इस पुरस्कार की राशि रु. 25,000/- शाल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह के साथ समर्पित की गई। यह पुरस्कार बालाचार्य श्री योगीन्द्रसागरजी महाराज के सान्निध्य में न्यायमूर्ति श्री एन. के. जैन एवं प्रो. नरेन्द्र धाकड़ द्वारा प्रदान किया गया। निर्णायक मंडल की ओर से पुरस्कार की घोषणा, चयन की प्रक्रिया, पुरस्कृत कृति के महत्व पर प्रकाश डाला डॉ. नलिन के. शास्त्री, बोधगया ने। श्रीमती शांतादेवी रतनलाल बोबरा की स्मृति में स्थापित ज्ञानोदय पुरस्कार - 99 प्रो. हम्पानागराजय्या, बैंगलोर को उनकी कृति 'A History of Rastrakutas of Malkhed and Jainism पर प्रदान किया गया। इसी अवसर पर ज्ञानपीठ की प्रतिष्ठित शोध त्रैमासिकी "अर्हत् वचन" में प्रकाशित होने वाले सर्वश्रेष्ठ शोध आलेखों पर दिए जाने वाले अर्हत् वचन पुरस्कारों में प्रथम पुरस्कार कुमार अनेकांत जैन - लाडनूं को उनके आलेख 'जैन दर्शन में कालद्रव्य' पर प्रदान किया गया। द्वितीय पुरस्कार आचार्य गोपीलाल अमर - दिल्ली तथा तृतीय स्व. श्री जयचंद शर्मा - बीकानेर 84 अर्हत् वचन, अप्रैल 2001 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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