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जिसमें एक पुरुषाकृति को चित्र के मध्य में छत्र के साथ घोड़े पर सवार दिखाया है। छत्र तीनों लोक में भगवान के साम्राज्य का द्योतक हैं। घोड़े के आगे-पीछे हाथियों पर सवार उनके परिचारक हैं। सबसे आगे व बीच में नगाड़े बजाते पुरुष हैं। एक अन्य पुरुष सबसे पीछे पैदल चल रहा है। हाथियों व घोड़ों में गति एवं सुडौलता स्पष्ट दिखाई दे रही है। पृष्ठभूमि लाल रंग की है। पुरुष को धोती व छोटा कुरता पहने दिखाया है। चित्र के ऊपर नीचे लेखन है।18
पासणाह - चरिउ की चित्रण शैली तथा चित्र संयोजन के समान दूसरी सचित्र पाण्डुलिपि जसहर - चरिउ की है।19 जसहर चरिउ (1440 - 1450) पाण्डुलिपि के चित्र में राजा यशोधर का एक नर्तकी और संगीतकारों द्वारा मनोरंजन का दृश्य है, जिसमें दो संगीतज्ञ, एक नर्तकी, एक ढोलक वादक व एक शहनाई वादक की टोली है, एक अन्य पुरुष राजा यशोधर के पीछे चँवर दुरा रहे हैं। सम्पूर्ण चित्र में संगीत व नृत्य के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं। पुरुष धोती व उत्तरीय पहने हैं। नर्तकी ने दक्षिण भारतीय साड़ी पहनी हुई है। दोनों हाथ नृत्य की मुद्रा में उपर उठाये हुए हैं। कानों में बड़े-बड़े कुण्डल गले में हार व हाथों में चूड़ियां पहने हैं।20 जसहर चरिउ की एक पाण्डुलिपि में आदिनाथ भगवान का चित्र है। आदिनाथ भगवान दिगम्बर पद्मासन मुद्रा में है। उनकी वेदिका पर उनका लांछन बैल मध्य में बना अआ है व उसके दोनों तरफ शेर का अंकन है, आदिनाथ भगवान को तीन छत्र, पुष्पवृष्टि, चँवर दुराते हुए देवगण आदि अष्टप्रतिहार्य चिन्हों से युक्त दर्शाया है। देवगण के एक हाथ में चँवर व दूसरे हाथ में मोती की माला है, सिर पर मुकुट है, वह धोती उत्तरीय पहने है। चित्र सुन्दर है अन्य चित्रों की अपेक्षा आकृतियाँ प्रमाणयुक्त है। चित्र की पृष्ठभूमि में उपर शिखर बने हैं जिन पर पताकाएं फहरा रही हैं। चित्र के दाएं - बाएं दो स्तम्भ हैं जिनके ऊपर गुंबद हैं। जिससे यह देवालय का चित्र प्रतीत होता
मन
जसहर चरिउ - जसहर चरिउ के एक चित्र में दिगम्बर मुनि द्वारा राजपुरुष को उपदेश देते दर्शाया है। राजसी पोषाक, आभूषण उत्तरीय पहने राजपुरुष को दिखाया गया है। मुनि ऊंची चौकी पर बैठे हैं। चौकी पर दो शेर का अंकन है, मुनि के सामने शास्त्र रहल पर रखे हैं। राजसी पुरुष हाथ जोड़े, घुटने मोड़े हुए श्रद्धा भाव से नीचे बैठा हआ है।
चित्र के मध्य में ऊपर कमण्डलु व पीछी धार्मिक उपकरण बनाये हैं। चित्र के दायें बायें सिरे पर
दो हस्थी स्तम्भ बने हैं जिनके ऊपर गुम्बद है, सिरिया
इससे यह चैत्यालय सा प्रतीत होता है। पृष्ठभूमि लाल रंग से बनाई गई है। ऊपर हरे रंग का प्रयोग किया है। चित्र में दायें लेखन है। यह
चित्र भी अनुपातिक व संयोजन की दृष्टि से कवर
उच्चकोटि का है। उन्नया
जसहर चरिउ के एक पत्र लगभग (1454 ई.) के चित्र में दिगम्बर मुनि सुदत्त को उपदेश देते हुए दर्शाया गया है, राज परिवार के सदस्य हैं। उनके सिर पर मुकुट है (देखें चित्र) एक अन्य चित्र में दो राजपुरुष हाथ जोड़े मुनिश्री
अर्हत् वचन, अप्रैल 2001
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