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44, किरव -
जैनागमों में समय-गणना
१ युग
उत्तर-'नहीं,क्योंकि अनन्त परमाणु-सघातोंके एकत्रित ११ २ पक्षका
१ मास होने पर वह रोयाँ बनता है। अतः रोयेका प्रथम १२ २ मासकी
१ ऋतु परमाणु-संघात जब तक नहीं टूटता तब तक नीचे १३ ३ ऋतुओका
१ अयन का सघात नही टूट सकता। ऊपरका संघात एक १४ २ अयनांका
१ वर्ष कालम टूटता है, नीचेका सघात उमस भिन्न दुमरे १५ ५ वर्षीका कालमें । इस लिये एक रोये के टूटनेकी क्रियावाला १६ २० युगांकी
१ शताब्दी काल भी समय सज्ञक नहीं हो सकता।' १७ १० शताब्दियों का एक हजार वर्ष
अर्थात् एक रोये के टूटने में जितना समय लगता १८ १०० हजार वर्षाका १ लक्ष वर्ष है उससे भी अत्यन्त मूक्ष्मतर कालको 'ममय' कहते हैं। १६ ८४ लक्ष वर्षोंका। १ पाग जैनदर्शनमे मनुष्य अॉख बन्दकर बोलता है या पलके २० ८४ लक्ष पागका १ पर्व मारता है, इस क्रियाम लगने वाले कालम अमख्यात
( ७०५६०००००००००० वर्ष) समयका बीत जाना बतलाया गया है ।
२१ ८४ लक्ष पर्वाका
१ त्रुटितॉग उपर्युक्त उदाहरणमे पाठकोंको जैनदर्शन के समयकी २२ ८४ लक्ष त्रुटितागांका ५ त्रुटिन सूक्ष्मताका कुछ अाभाम अवश्य मिल सकता है । ये २३ ८४ लक्ष टितांका। १ अड्डांग दृष्टान्त केवल विषयको बोधगम्य करने के लिये ही दिये २४ ८४ लक्ष अडडागांका १ अडड़ गये हैं । समयका वास्तविक स्वरूप तो कल्पनातीत है। २५ ८४ लक्ष अड्डोका १ अवांग अब समयके अधिक कालकी गणनाको संक्षेपस बतलाया २६ ८४ लक्ष अववागोंका जाता है।
२७ ८४ लक्ष अवांका १ हुहुकांग १ निर्विभाज्य काल रूप
१ समय २८ ८४ लक्ष हुहुकॉगोंका २ असंख्यात समयोंकी १ श्रावलिका २६ ८४ लक्ष हुहुकोका
१ उत्पलाँग ३ संख्येय अावलिकोंका १ उश्वास (स्वस्थ युवाका) ३० ८४ लक्ष उत्पलांगोका उत्पल ४ संख्येय श्रावलिकोंका १ निश्वास
३१ ८४ लक्ष उत्तलोका १ पद्मोग ५ उश्वास युक्त निश्वासका १ प्राण ३२ ८४ लक्ष पाँगोका
१पद्म ६ सात प्राणोंका
१ स्तोक ३३ ८४ लक्ष पोका १नलितॉग ७ सात स्तोकोंका
१ लव ३४ ८४ लक्ष नलितोगोंका १ नलित ८ ७७ लवोंका
३५ ८४ लक्ष नलितोका १ अर्थनिपूरॉग (इस प्रकार ३७७१ श्वासोच्छ्वासोंका एक मुहूर्त- ३६ ८४ लक्ष अर्थनिपरांगोंका १ अर्थनिपर २ घड़ी ४८ मिनिट-होता है)
३७ ८४ लक्ष अर्थनिपरीका १ अयुताग ६ ३० मुहूर्तोका १ अहोरात्र (दिन) ३८ ८४ लक्ष अयुतांगोंका १ अयुत १० १५ दिनोंका
१पक्ष
३६ ८४ लक्ष अयुतोका १नयुतांग
१अवव