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जैनागमों में समय-गणना
[ोखक-श्री भगरचन्द नाहटा]
नागम भारतीय प्राचीन संस्कृति, साहित्य और का कुछ अाभास उदाहरण-द्वारा इस प्रकार व्यक्त " इतिहासके भंडार हैं । दार्शनिक और साहित्यिक किया गया है:दोनों विद्वानोंके लिये उनमें बहुत कुछ मननीय एवं प्रश्न-शक्ति सम्पन्न, स्वस्थ और युवावस्था वाला गवेषणीय सामग्री भरी पड़ी है । पर दुःखकी बात है कोई जलाहेका लड़का एक बाटोक पट्टसाड़ी-वस्त्रका कि भारतीय जैनेतर विद्वानोंने इन जैनागमोंकी अोर एक हाथ प्रमाण टुकड़ा-बहुत शीघ्रतासे एक ही झटके बिल्कुल ध्यान नहीं दिया । हाँ पाश्चात्य विद्वानोंमें से फाड़ डाले तो इस क्रिया में जितना काल लगता है से डाक्टर हर्मन जैकोबी आदि कुछ विद्वानोंने उनका क्या वही समयका प्रमाण है ?' वैदिक एवं बौद्ध साहित्यके साथ तुलनात्मक अध्ययन उत्तर--'नहीं, उतने कालको समय नहीं कह ज़रूर किया है और उसके फलस्वरूप अनेक नवीन सकते, क्योंकि संख्यात् तन्तुअोके इकडे होने पर वह तथ्य साहित्यप्रेमी संसारके सन्मुख लेखों तथा ग्रन्थोंके वस्त्र बना है, अतः जब तक उसका पहला तन्तु छिन्न रूपमें प्रकट किये हैं । इधर कुछ वर्षोंसे हमने कई जैना- नहीं होगा तब तक दूमरा तन्तु छिन्न नहीं होना । पहला गमोंका साहित्यिक दृष्टिकोणसे अध्ययन किया, उनको तन्तु एक कालमें टना है, दूमग तन्तु दूसरे कालमें, सिर्फ साहित्यक ही नहीं बल्कि विविध दृष्टियोंमे इस लिये उम मख्येय तन्तुओंको तोड़नेकी क्रिया वाला बहुमूल्य पाया । प्रत्येक विषयके विद्यार्थियोंको उनमें काल समय संज़क नहीं कहा जा सकता ।' कुछ न कुछ नवीन और तत्थ पूर्ण सामग्री मिल सकती प्रश्न-मितने ममयमें वह यवा पट्टसाटिकाके पहले है । उनमें कई विषय तो हमें तुलनात्मक दृष्टिसे बहुत तन्तुको तोड़ता है क्या उतना काल समय-संज्ञक ही महत्वपूर्ण प्रतीत हुए, अतः उनको साहित्य संसारके होता है ?' समक्ष रखते हुए विद्वानोंका ध्यान उस ओर आकर्षित उत्तर-'नहीं, क्योंकि पहसाटिका एक तन्तु संख्यात करना हमें परमावश्यक मालूम होता है। इस दृष्टि से, सूक्ष्म रोमोंके एकत्रित होने पर बनता है, अतः प्रस्तुत लेखमें, 'समयगणना' का जैसा रूप जैनागमोंमें तन्तुका पहला-ऊपरका रूाँ जब तक नहीं टूटता प्राप्त होता है उसे पाठकोंके सन्मुख रखा जाता है। तब तक नीचे वाला दूमरा रूआँ नहीं टूट सकता।'
जैनदर्शनमें कालद्रव्यका सबसे सक्ष्म अंश 'समय' प्रश्न–'तब क्या जितने कालमें वह युवा पसाटिकाके है। समयकी जैसी सूक्ष्मता जैनागमोंमें बतलाई गई है। प्रथम तन्तु के प्रथम रोयेंको तोड़ता है उतना काल वैसी किसी भी दर्शनमें नहीं पाई जाती । इस सूक्ष्मता समय संजक हो सकता है ?