Book Title: Anekant 1940 Book 03 Ank 01 to 12
Author(s): Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 814
________________ वीरसेवामन्दिरकी विशति वीरसेवामन्दिरकी विज्ञप्ति 'समंतभद्रभारती'की प्रकाशन-योजना छपाईतथा जिल्द बँधाई भी अव्वल नम्बरकी होगी । स्वामी समन्तभद्र के जितने भी ग्रंथ इस समय इस तरह इस प्रथराजकके सर्वाग सुन्दर; अत्यन्त __उपयोगी और दर्शनीय बनानेका पूरा प्रयल किया उपलब्ध हैं उन सबका एक बहुत बढ़िया संस्करण जायगा। 'समन्तभद्रभारती' के नामसे निकालनेका विचार स्थिर किया गया है। इस प्रन्थमें स्वामीजीके सब पाठकोंको यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होगी पथोंका मूलपाठ अनेक प्राचीन प्रतियोंपरसे खोजकर * कि ग्रंथराजका कार्य प्रारम्भ हो गया है-कुछ रक्खा जायगा साथमें हिन्दीअनुवाद भी अपनी खास विद्वानान बिल्कुल सेवाभावसे-स्वामी समन्तभद्र विशेषताको लिए हुए होगा । उसे पढ़ते हुए मल के ऋणसे कुछ उऋण होनेके खयालसे इसके मन्थको सिरिटमें कोई अन्तर नहीं पड़ेगा, उसकी । . एक एक ग्रंथक अनुवाद कार्यको बांट लिया है। धारा भी नहीं टूटेंगी; और जो अर्थ शब्दोंकी तहमें पं.बंशाधरजो व्याकरथाचार्यने बहत स्वतम्भ छिपा हुआ है अथवा रहस्यके रूयमें पर्दे के भीतर स्तोत्र' का, पं० फूलचंदजो शालीन 'युक्तनुशासननिहित ह वह सब प्रकट तथा स्पष्ट होता चला का, पं० पन्नालालजी साहित्याचार्यन 'जिनशतक, जायगा । और व्यर्थका विस्तार भी नहीं होने पाएगा नामकीस्तुति विद्याका और न्यायाचार्य पं० महेंद्र टीकाओं में उपलब्ध होने वाली कठिन पदोंकी सस्वत कुमारजीन 'देवागम' नामक प्राप्तमीमांसाका टिप्पिणियाँ भी फुटनोटसके रूपमें रहेंगी । हिन्दीकी अनुवाद करना सहर्ष स्वीकार किया है--कई नई उपयोगी टिप्पणियाँ भी लगाई जायेंगी । और विद्वानोंने अपना अनुवाद- कार्य प्रारम्भ भी कर इन सबके अतिरिक साथमें ही बड़ी महत्वपूर्ण दिया है । अवशिष्ट 'रस्नकरण्डक' नामक उपासखोजपूर्ण प्रस्तावना होगी, जिसमें मूल अथोंके विष- काध्ययनका अनुवाद मेरे हिस्से में रहा है, प्रस्तावना पादिक पर यथेष्ठ प्रकाश डाला जायगा-स्वामी तथा जोवन चरित्र लिखने का भारभी मेरे ही अपर समन्तभद्र का जीवन चरित्र होगा। पूरा शब्दकोश रहेगा, जिसमें मेरे लिये अनुवादकों तथा दूसरे होगा और पद्यानुकणिका आदिके अनेक उपयोगी विद्वानोंका सहयोग भी पांछनीय होगा। वीरसेवा परिशिष्ट भी रहेंगे । कागज बहुत पुष्ट तथा अधिक मन्दिर के कुछ विद्वान परिशिष्ट तैयार करेंगे, और समय तक स्थिर राने वाला लगाया जायगा और यह दृढ़ प्राशा है कि प्रोफेसर ए.एन. उपाण्यावजी

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