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भनेकान्त
[ज्येष्ठ-अपाद, वीर-निर्वाण सं० २४६६
करनेकी प्रतीक्षा नहीं की । मैंने भाप ही पहल करनेका एक ही मार्ग उसके पास रह गया और करदी। मैंने कहा-"अफसर महोदय, मापने वह था सदारभावसे दया दिखाना ।। मुझे अपराध करते हुए पकड़ लिया है । मैं अप- परन्तु मान लीजिये, मैंने अपनेको निर्दोष राधी हूँ। मेरे पास अपराध के समय किसी दूसरी सिद्ध करनेका यत्न किया होता-ठीक, क्या जगह होनेका कोई उन या बहाना नहीं । आपने मापने कभी पुलिसमैनके साथ वाद-विवाद गत सप्ताह मुझे चेतावनी दी थी कि, यदि तुम किया है ? इस कुत्तेको विना मुसका लगाये यहाँ लाये, तो परन्तु उसके साथ लड़ने के बजाय, मैंने स्वीतुम्हें जुर्माना हो जायगा ।"
कार कर लिया कि, वह बिलकुल सच्चा है और
मैं सरासर गलती पर हूँ । मैंने यह बात शीघ्रता पुलिसमैनने मृदुम्बरमें उत्तर दिया,-"हाँ,
" से, स्पष्टवासे और उत्साहपूर्वक मानली, उसके ठीक है, मैं जानता हूँ कि, यहाँ जब कोई मनुष्य
मेरा पक्ष लेने और मेरे उसका पक्ष लेनेसे मामला इर्द-गिर्द न हो, वो इस जैसे छोटे कुत्तेको खुला
अनुकूलता पूर्वक समाप्त होगया । दौड़ने देने का प्रलोभन हो ही जाता है।"
दूसरोंके मुखसे निकली हुई डोट-फटकार मैंने उत्तर दिया,-"निश्चय ही यह प्रलोभन
सहन करनेकी अपेचा क्या प्रात्म-आलोचना है। परन्तु यह कानूनके विरुद्ध है।"
सुनना अधिक सहज नहीं ? यदि हमें पता हो पुलिसमैनने प्रतिवाद करते हुए कहा,- कि, दूसरा मनुष्य हम पर बरसेगा, वो क्या यह "इस जैसा छोटा कुत्ता किसीको हानि नहीं अच्छा नहीं कि उसके बोलनेके पूर्व स्वयं ही पहुंचायगा ।"
उसके हृदयकी बात कह दी जाय ? ___ मैंने कहा, 'नहीं, परन्तु हो सकता है कि, अपने सम्बन्धकी वे सब निन्दासूचक बातें वह किसी गिलहरीको मार डाले ।" कह डालिये, जो आप समझते हैं कि, दूसरा उसने मुझे बताया। "मैं समझता हूँ श्राप
व्यक्ति आपसे कहने के लिए सोच रहा है, या इसे बहुत गम्भीर भावसे ले रहे हैं। मैं बताता हूँ
कहना चाहता है, या कहनेका विचार रखता कि आप क्या करें। आप उसे वहाँ पहाड़ पर
है और उन्हें उसे कहनेका अवसर मिलनेके दौड़ने के लिए छोड़ दिया कीजिये, जहाँ मैं से पूर्व ही कह दीजिये-और उसका क्रोध शान्त न देख सकूँ-और हमें इसकी कुछ याद ही न
हो जायगा। सौ पीछे निन्नानवें दशाओं में वह रहेगी।"
उदार और क्षमाशील भाव ग्रहण कर लेगा और
आपकी भूलोंको यथासम्भव कम करके दिखवह पुलिसमैन होनेके कारण, महत्वाका
लायगा-ठीक जिस प्रकार पुलिसमैनने कारनेगी भाव चाहता था । इसलिये जब मैं अपनेको .
में अपनका और उनके कुत्ते के साथ किया । धिकारने लगा, तो अपनी प्रात्म-पूजाको पोषित
-(गृहस्थसे)