________________
41, किरण ..]
वीरोंकी पाहिंसाका प्रयोग
आप मेरे सह-साधक हैं
भी नहीं है, तो वे कह देते हैं, 'हम क्या करें; हम मेरी यह इच्छा है कि भाप लोग अहिंसाकी
आपका रास्ता नहीं ले सकते । मैंने जिस तरह साधनामें मुझसे भी आगे बढ़ जायें । क्योंकि
पदाधिकार छोड़ दिया, उस तरह वे तो नहीं छोड़
सकते । मैं अहिंसाको अपनी व्यक्तिगत साधना मैं सिद्ध नहीं हूँ, पाप मेरे सइ-साधक हैं । मेरे
भी समझता हूँ । वे तो नहीं समझते । पास अहिंसाका जो धन है, उसे मैं घर बांट देना चाहता हूँ। उसमें कसर नहीं करना चाहता । भापको अपने दिलमें सोचना चाहिये कि "यह मैंने काँग्रेस क्यों छोड़ी? जो कुछ हमें दे रहा है, उसका हम सारी भूमिम इस परमे श्राप ममझायेंगे कि मैंने कांग्रेम छः सिंचन करें। यह तो बूढ़ा हो गया है। हम तो साल पहले छोड़ दी, यह ठीक ही किया। उसकी तरुण हैं। हम इसके दिये ,हुए धनको बढ़ावेंगे!" अधिक सेवाको । उसी वक्त मैंने देख लिया कि इस तरह सोच कर आप मुझसे आगे बढ़ कांग्रेममें कई लोग ऐसे आ गये हैं, जो अहिंसाको जायेंगे तो मैं पापको आशीर्वाद दूंगा।
नहीं मानते; जिनको अहिमाने स्पर्श भी नहीं किया
है। मैं उनसे काम कैसे ले सकता था ? साथ माथ मैं अकेला नहीं हूँ
मैंने यह भी देखा कि कई अहिंसाके पुजारी मैं जानना चाहता हूँ कि आपमें से कितने मेरे कांग्रेसके बाहर पड़े हैं। इसीलिये मैंने अलग हो साथ इस रास्ते चलनेको तैयार हैं ? अगर कोई जाना ही ठीक समझा । आज आप देखते हैं कि न आया तो मुझे अकेला भी चलना ही है । मैं मैंने सही काम किया। सत्तर साल का हो गया हूँ, तो भी बूढ़ा हो गया हूँ क्योंकि मैंने देख लिया कि मैं दूसरी तरहकी ऐसा तो नहीं समझना । और मैं कभी अकेला तो कोई सेवा नहीं कर सकता । सिवाय अहिंसाके हो नहीं सकता। और कोई नहीं नो, भगवान मेरे मुझमें दूसरी कोई शकि नहीं है । तब मैं वहाँ रह साथ रहेंगे। मुझे अकेलेपनका अनुभव कभी होता कर क्या करता ? मुझमें जो कुछ शक्ति है वह ही नहीं।
अहिंसाकी ही शक्ति है । मैं अपनी अपूर्णता जानता पापकी अगर अहिंसाके मार्ग में श्रद्धा है, तो हूँ। मेरी अपूर्णता मुझसे अधिक कोई नहीं जानता । पाप अपना परीक्षण करें। कितने भादमी इस लेकिन फिर भी मनुष्य अभिमानी होता है। रास्ते चलनेको तैयार हैं, इसकी खोज करें । कांग्रेस इसलिये मैं जिन अपूर्णताओंको नहीं देखता, उन्हें वालोंको टटोलें । यह सबखोज मैं नहीं कर सकता। आप देख लेते हैं, और मैं प्रात्म-परीक्षण करता क्या आप कांग्रेसके महाजनोंको पहिसाकी शचि रहता हूँ, इसलिये मेरी जिन अपूर्णतामोंको भाप दे सकते हैं ? वे क्या करते; वे तो लाचार थे। नहीं देख सकते; उन्हें मैं देख लेता हूँ। इस तरह जब वे देखते हैं कि लोगोंमें अहिंसाकी एक बून्द दोनोंका जोड़कर लेता हूँ।