Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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विसीयई सिढिले आउयम्मि , कालोवणीए सरीरस्स भेए || [१२५] खिप्पं न सक्केइ विवेगमे , तम्हा समुट्ठाय पहाय कामे ।
समिच्च लोयं समया महेसी , आयाणरक्खी व चरेऽप्पमत्तो ।। [१२६] मुहं मुहं मोहगुणे जयं तं, अनेगरूवा समणं चरं तं ।
अज्झयणं-४
फासा फुसं ति असमंजसं च , न तेसिं भिक्खू म नसा पठस्से ।। [१२७] मंदा य फासा बहुलोहणिज्जा , तहप्पगारेसु म नं न कुज्जा ।
रक्खिज्ज कोहं विणएज्ज माणं, मायं न सेवेज्ज पहेज्ज लोहं ।। [१२८] जे संखया तुच्छपरप्पवाई , ते पिज्जदोसा नुगया परज्झा । एए अहम्मे त्ति दुगुंछमाणो , कंखे गुणे जाव सरीरभेउ || त्ति
बेमि
• चउत्थं अज्झयणं सम्मत्तं . ० पंचमं अज्झयणं-अकाममरणिज्जं .
[१२९] अन्नवंसि महोघंसि , एगे तिण्णे दुरुत्तरे
तत्थ एगे महापन्ने , इमं पण्हमुदाहरे || [१३०] संतिमे य दुवे ठाणा , अक्खाया मारणं तिया ।
अ काममरणं चेव , सकाममरणं तहा || [१३१] बालाणं अकामं तु , मरणं असई भवे
पंडियाणं सकामं तु , उक्कोसेण सई भवे || [१३२] तत्थिमं पढमं ठाणं , महावीरेण देसियं ।
कामगिद्धे जहा बाले , भिसं कूराइं कुव्वई ।। [१३३] जे गिद्धे कामभोगेसु , एगे कूडाय गच्छई ।
न मे दि डे परे लोए , चक्खुदिट्ठा इमा रई ।। [१३४] हत्थागया इमे कामा , कालिया जे अ नागया ।
को जाणइ परे लोए , अत्थि वा नत्थि वा पुणो ? ।। [१३५] जनेन सद्धिं होक्खामि , इइ बाले पगब्भई ।
कामभोगानुराएणं, केसं संपडिवज्जई ।। [१३६] तओ से दं डं समारभई , तसेसु थावरेसु य ।
अट्ठाए य अण द्वाए, भूयगामं विहिंसई ।। [१३७] हिंसे बाले मुसावाई , माइल्ले पिसुणे सढे
भुंजमाणे सुरं मंसं , सेयमेयं ति मन्नई ।। [१३८] कायसा वयसा मत्ते , वित्ते गिद्धे य इत्थिस् ।
दुहओ मलं संचिणइ , सिसुनागु व्व मट्टियं ।। [१३९] तओ पुट्ठो आयंकेणं , गिलाणो परितप्पई ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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