Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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काउस्सग्गं तु पारित्ता , करिज्जा जि नसंथवं ।। [१०५७] पारियकाउस्सग्गो, वंदित्ताण तओ गुरुं ।
तवं संपडिवज्जेत्ता , कुज्जा सिद्धाण संथवं ।। [१०५८] एसा सामायारी , समासेण वियाहिया । जं चरित्ता बहू जीवा , तिण्णा संसारसागरं ।। त्ति बेमि
• छव्वीसइमं अज्झयणं सम्मत्तं . • सत्तावीसइमं अज्झयणं - खलुंकिज्जं . [१०५९] थेरे गणहरे गग्गे , मुनी आसि विसारए |
आइण्णे गणिभावं मि, समाहिं पडिसंधए || [१०६०] वहणे वहमाणस्स , कंतारं अइवत्तई ।
जोगे वहमाणस्स , संसारो अइवत्तई ।। [१०६१] खलुंके जो उ जोएड् , विहम्माणो किलिस्सई ।
असमाहिं च वेएइ , तोत्तओ य से भज्जई ।।
अज्झयणं-२७
[१०६२] एगं डसइ पुच्छं मि, एगं विं धइऽभिक्खणं ।
एगो भंजइ समिलं , एगो उप्पहप द्विओ ।। [१०६३] एगो पडइ पासेणं , निवेसइ निविज्जई।
उक्कुद्दइ उप्फिडइ , सढे बालगवी वए || [१०६४] माई मुद्धेण पडइ , कुद्धे गच्छइ पडिप्पहं ।
मयलक्खेण चिट्ठई , वेगेण य पहावई ।। [१०६५] छिन्नाले छि दई सेल्लिं , दुईतो भंजए जुगं |
सेऽवि य सुस्सुयाइत्ता , उज्जाहित्ता पलायए ।। [१०६६] खलुंका जारिसा जोज्जा , दुस्सीसा वि हु तारिसा |
जोइया धम्मजाणं मि, भज्जंती धिइदुब्बला || [१०६७] इढ्ढीगारविए एगे , एगेऽत्थ रसगारवे ।
सायागारविए एगे , एगे सुचिरकोहणे ।। [१०६८] भिक्खाऽऽलसिए एगे , एगे ओमाणभीरुए थद्धे ।
एगे च अनुसासंमि, हेऊहिं कारणेहि य ।। [१०६९] सो वि अं तरभासिल्लो, दोसमेव पकुव्वई ।
आयरियाणं तु वयणं , पडिकूलेइ अ भिक्खणं ।। [१०७०] न सा ममं वियाणाइ , न वि सा मज्झ दाहिई ।
निग्गया होहिई मन्ने , साहू अन्नोऽत्थ वज्जउ ।। [१०७१] पेसिया पलिउंचं ति, ते परियं ति समं तओ |
___रायवेटिं च मन्जं ता, करेंति भिउडिं मुहे ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयण]
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