Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
[१६३१] जा चेव य आउठिई , नेरइयाणं वियाहिया ।
सा तेसिं कायठिई , जहन्नुक्कोसिया भवे ।। [१६३२] अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुह्त्तं जहन्नयं ।
विजढंमि सए का ए, नेरइयाणं तु अंतरं ।। [१६३३] एएसिं वण्णओ चेव , गंधओ रस-फासओ ।
संठाणादेसओ वावि , विहाणाइं सहस्ससो ।। [१६३४] पंचिंदियतिरिक्खाओ, दुविहा ते वियाहिया ।
सम्मुच्छिम-तिरिक्खाओ, गब्भवक्कंतिया तहा ।। [१६३५] दुविहा वि ते भवे तिविहा , जलयरा थलयरा तहा |
ख हयरा य बोधव्वा , तेसिं भेए सणेह मे ।। [१६३६] मच्छा य कच्छभा य , गाहा य मगरा तहा ।
सुंसुमारा य बोधव्वा , पंचहा जलयरा ssहिया ।। [१६३७] लोएगदेसे ते सव्वे , न सव्वत्थ वियाहिया ।
इत्तो कालविभागं तु , तेसिं वुच्छं चउव्विहं ।। [१६३८] संतई पप्पणाइया , अपज्जवसिया वि य ।
ठिइं पडुच्च साइया , सपज्जवसिया वि य ।। [१६३९] एगा य पुव्वकोडी उ , उक्कोसेण वियाहिया ।
अज्झयणं-३६
आउठिई जलयराणं , अंतोमुहत्तं जहन्निया ।। [१६४०] पुव्वकोडिपुहत्तं तु , उक्कोसेण वियाहिया ।
कायठिई जलयराणं , अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। [१६४१] अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ।
विजढंमि सए काए , जलयराणं अंतरं ।। [१६४२] एएसिं वण्णओ चेव , गंधओ रस-फासओ ।
संठाणादेसओ वावि , विहाणाइं सहस्ससो ।। [१६४३] चउप्पया य परिसप्पा , दुविहा थलयरा भवे ।
चउप्पया चउव्विहा , ते मे कित्तयओ सुण ।। [१६४४] एगखुरा दुखुरा चेव , गंडीपया सणप्पया |
हयमाइ गोणमाइ , गयमाइ सीहमाइणो ।। [१६४५] भुओरगपरिसप्पा य , परिसप्पा दुविहा भवे ।
गोहाई अहिमा ई य , एक्केक्का नेगहा भवे ।। [१६४६] लोएगदेसे ते सव्वे , न सव्वत्थ वियाहिया ।
इत्तो कालविभागं तु , तेसिं वुच्छं चउव्विहं ।। [१६४७] संतइं पप्पणाइया , अपज्जवसिया वि य ।
ठिइं पडुच्च साइया , सपज्जवसिया वि य ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
[105]
[४३-उत्तरज्झयणं]
Loading... Page Navigation 1 ... 104 105 106 107 108 109 110 111 112