Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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[१६१४] संतइ पप्प णाइया अपज्जवसिया वि य ।
ठिइं पडुच्च साइया , सपज्जवसिया वि य ।। [१६१५] छच्चेव य मासा उ , उक्कोसेण वियाहिया ।
चरिंदिय आउठिई , अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। [१६१६] संखिज्जकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जह न्नियं ।
चरिंदिय कायठिई , तं कायं तु अमुंचओ ।। [१६१७] अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुत्तं जहन्नयं ।
विजढमिं सए काए , अंतरं च वियाहियं ।। [१६१८] एएसिं वण्णओ चेव , गंधओ रस-फासओ ।
संठाणादेसओ वावि , विहाणाइं सहस्ससो ।। [१६१९] पंचिंदिया उ जे जीवा , चउव्विहा ते वियाहिया ।
ने रइया तिरिक्खा य , मनुया देवा य आहिया ।। [१६२०] नेरइया सत्तविहा , पुढवीसु सत्तसु भवे ।
रयणाभा सक्कराभा, वालुयाभा य आहिया ।। [१६२१] पंकाभा धुमाभा , तमा तमतमा तहा |
इइ नेरइया एए , सत्तहा परिकित्तिया ।। [१६२२] लोगस्स एगदेसं मि, ते सव्वे उ वियाहिया ।
अज्झयणं-३६
इत्तो कालविभागं तु , तेसिं वुच्छं चउव्विहं ।। [१६२३] संतइं पप्पणाइया , अपज्जवसिया वि य ।
ठिइं पडुच्च साइया , सपज्जवसिया य ।। [१६२४] सागरोवममेगं तु , उक्कोसेण वियाहिया ।
पढमाए जह न्नेणं, दसवाससहस्सिया || [१६२५] तिन्नेव सागराऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
दोच्चाए जह न्नेणं, एगं तु सागरोवमं ।। [१६२६] सत्तेव सागराऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
तइयाए जह न्नेणं, तिन्नेव सागरोवमा || [१६२७] दस सागरोवमाऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
चउत्थीए जह न्नेणं, सत्तेव सागरोवमा || [१६२८] सत्तरस सागराऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
पंचमाए जह न्नेणं, दस चेव सागरोवमा ।। [१६२९] बावीस सागराऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
छट्ठीए जह न्नेणं, सत्तरस सागरोवमा || [१६३०] तेत्तीसं सागराऊ , उक्कोसेण वियाहिया ।
सत्तमाए, जहन्नेणं, बावीसं सागरोवमा ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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