Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अज्झयणं-३६
[१५९७] संखिज्जकालमुक्कोसा, बेइंदिय कायठिई
[१५९८] अनंतकालमुक्कोसं, बेइंदिय-जीवाणं,
[१५९९ ] एएसिं वण्णओ चेव
संठाणादेसओ वावि
[ १६०० ] तेइंदिया उ जे जीवा पज्जत्तं अ पज्जत्ता,
[१६०१] कुंथुपिवीलिउद्दंसा,
तणहारा कट्ठहारा य
[१६०२] कप्पासऽट्ठिमिजाया, सदावरी य गुम्मी य [१६०३] इंदगोवसमाइया,
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लोगेगदेसे ते सव्वे
[१६०४] संतई पप्पणाइया ठिइं पडुच्च साइया
[१६०५] एगूणपन्नहोरत्ता,
तेइंदिय
[१६०९]
[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
"
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आउठिई,
[१६०६] संखिज्जकालमुक्कोसा, तेइंदिय-कायठिई,
[१६०७] अनंतकालमुक्कोसं,
तेइंदिय-जीवाणं,
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[१६०८] एएसिं वण्णओ चेव
संठाणादेसओ वावि
चाउरिंदिया उ जे जीवा पज्जत्तं अ पज्जत्ता, [१६१०] अंधिया पोत्तिया चेव भमरे कीडपयंगे य
[१६११] कुक्कुडे सिंगिरीडी य
डोले भिंगिरीडी य [१६१२] अच्छिरे माहले अच्छि ओहिंजलिया जलकारी य
[१६१३] इय चउरिंदिया एए
अंतोमुहुत्तं जहन्निया । तं कायं अचओ ।। तु अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । अंतरं च वियाहियं ।।
गंधओ रस - फासओ । विहाणाई सहस्ससो ||
विहाते पकित्तिया । सिं सुह मे ।। उक्कलुद्देहिया तहा ।
"
3
"
अंतोमुहुत्तं जहन्निया ।। अंतोमुहुत्तं जहन्निया । तं कायं तु अचओ || अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । अंतरं त् वियाहियां ।।
गंधओ रस - फासओ ।
विहाणाई सहस्सो ||
"
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मालूगा पत्तहारगा ।। तिंदुगात समिजा ।
न सव्वत्थ वियाहिया || अप्पज्जवसिया वि य । सप्पज्जवसिया विय ।। उक्कोसेण वियाहिया ।
बोधव्वा इंदगाइया ।। गावमाओ ।
"
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दुविहाते पकित्तिया ।
सिं सुह मे ||
मुच्छिया मसगा तहा ।
रोड
ढिंकुणे कुंकणे तहा ।।
नंदावत्ते य विच्छु |
विरिली अच्छिवेह
||
विचित्ते चित्तपत्तए ।
नियया तंब बगाइया ||
गहा एवमायओ ।
लोगस्स एगदेसंमि ते सव्वे परिकित्तिया
[103]
।।
[४३-उत्तरज्झयणं]
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