Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 108
________________ [१६६५] कायठिई मणुयाणं , अंतरं तेसिमं भवे । अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहत्तं जहन्नयं ।। [१६६६] एएसिं वण्णओ चेव , गंधओ रस-फासओ । संठाणादेसओ वावि , विहाणाइं सहस्ससो ।। [१६६७] देवा चउव्विहा वुत्ता , ते मे कित्तयओ सुण । भोमिज्ज वाणमंतर , जोइस वेमाणिया तहा ।। [१६६८] दसहा उ भव नवासी, अट्ठहा व नचारिणो | पंचविहा जोइसिया , दुविहा वेमाणिया तहा ।। [१६६९] असुरा नाग-सुवण्णा, विज्जू अग्गी य वियाहिया | दीवोदहि-दिसा वाया , थणिया भव नवासिणो ।। [१६७०] पिसाय-भूया जक्खा य , रक्खसा कि न्नरा किंपुरिसा | महोरगा य गंधव्वा , अट्ठविहा वाणमंतरा ।। [१६७१] चंदा सूरा य नक्खत्ता, गहा तारागणा तहा । दि या विचारिणो चेव , पंचहा जोइसालया ।। [१६७२] वेमाणिया उ जे देवा , दुविहा ते पकित्तिया । कप्पोवगा य बोधव्वा कप्पाईया तहेव य || [१६७३] कप्पोवगा य बारसहा , सोहम्मीसाणगा तहा । अज्झयणं-३६ सणंकुमार माहिंदा, बंभलोगा य लंतगा ।। [१६७४] महासुक्का सहस्सारा , आणया पाणया तहा । आरणा अच्चुया चेव , इइ कप्पोवगा सुरा ।। [१६७५] कप्पाईया उ जे देवा , दुविहा ते वियाहिया । गेविज्जानुत्तरा चेव , गेविज्जा नवविहा तहिं ।। [१६७६] हेट्ठिमारुट्ठिमा चेव , हेट्ठिमामज्झिमा तहा । हेट्ठिमाउवरिमा चेव , मज्झिमाहेट्ठिमा तहा ।। [१६७७] मज्झिमा मज्झिमा चेव , मज्झिमाउवरिमा तहा | उवरिमा हेट्ठिमा चेव , उवरिमामज्झिमा तहा ।। [१६७८] उवरिमाउवरिमा चेव , इय गेविज्जगा सुरा । विजय वेजयंता य , जयंता अपराजिया ।। [१६७९] सव्वट्ठसिद्धगा चेव , पंचहाऽनुत्तरा सुरा । इइ वेमाणिया एए , नेगहा एवमायओ ।। [१६८०] लोगस्स एगदेसं मि, ते सव्वे परिकित्तिया । इत्तो कालविभागं त् , तेसिं वच्छं चउव्विहं ।। [१६८१] संतइं पप्प ऽणाइया, अपज्जवसिया वि य । ठिइं प डुच्च साइया , सपज्जवसिया वि य ।। दीपरत्नसागर संशोधितः] [107] [४३-उत्तरज्झयणं]

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