Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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एयजोगसमाउत्तो, सुक्कलेसं तु परिणमे ।। [१४१५] असंखिज्जाणोसप्पिणीण, उस्सप्पिणीण जे समया ।
संखाईया लोगा , लेसाण हवं ति ठाणाई ।। [१४१६] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना , तेत्तीसा सागरा मुहुत्त ऽहिया |
उक्कोसा होइ ठिई , नायव्वा किण्हलेसाए ।। [१४१७] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना , दस उदही पलियमसंखभागमब्भहिया
उक्कोसा इ ठिई, नायव्वा नीललेसाए || [१४१८] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, तिण्णुदही पलियमसंखभागमब्भहिया ।
उक्कोसा होइ ठिई , नायव्वा काउलेसाए ।। [१४१९] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, दोण्णुदही पलियमसंखभागमब्भहिया ।
उक्कोसा होइ ठिई , नायव्वा तेउलेसाए || [१४२०] मुहत्तद्धं तु जहन्ना , दस हों ति य सागरा मुहत्तऽहिया ।
उक्कोसा होइ ठिई , नायव्वा सुक्कलेसाए || [१४२१] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना तेत्तीसं सागरा मुहुत्त ऽहिया ।
उक्कोसा होइ ठिई नायव्वा सक्कलेसाए || [१४२२] एसा खलु लेसाणं , ओहेण ठिई उ वण्णिया होइ ।
अज्झयणं-३४
चउसु वि गईसु एत्तो , लेसाण ठिइं तु वोच्छामि ।। [१४२३] दस वाससहस्साई , काउए ठिई जहन्निया होइ ।
तिण्णुदही पलिओवमं , असंखभागं च उक्कोसा ।। [१४२४] तिण्णुदही पलिओवमं , असंखभागो जहन्नेण नीलठिई ।
दसउदही पलिओवमं असंखभागं च उक्कोसा || [१४२५] दसउदही पलिओवमं असंखभागं जहन्निया होइ ।
तेत्तीससागराइं उक्कोसा , होइ किण्हाए लेसाए || [१४२६] एसा नेरइयाणं , लेसाण ठिई उ वण्णिया होइ ।
तेणं परं वोच्छामि , तिरियमनुस्साण देवाणं ।। [१४२७] अंतोमहत्तमद्धं, लेसाण ठिई जहिं जहिं जाउ ।
तिरियाण नराणं वा , वज्जित्ता केवलं लेसं ।। [१४२८] मुहुत्तद्धं तु जहन्ना , उक्कोसा होइ पुव्वकोडीओ ।
नवहिं वरिसेहिं ऊणा , नायव्वा सुक्कलेसाए ।। [१४२९] एसा तिरियनराणं , लेसाण ठिई उ वण्णिया होइ ।
तेण परं वोच्छामि , लेसाण ठिई उ देवाणं ।। [१४३०] दस वाससहस्साइं , किण्हाए ठिई जहन्निया होइ ।
पलियमसंखिज्जइमो, उक्कोसो होइ किण्हाए ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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