Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 96
________________ जहिऊण मा नुसं बों विं, पहू दुक्खा विमुच्चई ।। [१४६४] निमम्मे निरहंकारो , वीयरागो अ नासवो । संपत्तो केवलं नाणं , सासयं परि निव्वुए || त्ति बेमि . पणतीसइमं अज्झयणं सम्मत्तं . • छत्तीसइमं अज्झयणं - जीवाजीवविभत्ती ० [१४६५] जीवाजीवविभत्तिं, सणेह मे एगम ना इओ | जं जाणिऊण भिक्खू , सम्म जयइ संजमे ।। [१४६६] जीवा चेव अजीवा य , एस लोए वियाहिए । अजीव देसमागासे , अलोए से वियाहिए ।। [१४६७] दव्वओ खेत्तओ चेव , कालओ भावओ तहा । परूवणा तेसिं भवे , जीवाणमजीवाण य ।। [१४६८] रूविणो चेव अरूवी य , अजीवा दुविहा भवे । अरूवी दसहा वुत्ता , रूविणो य चउव्विहा ।। [१४६९] धम्मत्थिकाए तद्देसे , तप्पएसे य आहिए | अहम्मे तस्स देसे य , तप्पएसे य आहिए ।। [१४७०] आगासे तस्स देसे य , तप्पएसे य आहिए | अज्झयणं-३६ अद्धासमए चेव , अरूवी दसहा भवे ।। [१४७१] धम्माधम्मे य दो चेव , लोगमित्ता वियाहिया । लोगालोगे य आगासे , समए समयखेत्तिए ।। [१४७२] धम्माधम्मागासा, तिन्नि वि एए अ नाइया । अपज्जवस्सिया चेव , सव्वद्धं तु वियाहिया ।। [१४७३] समए वि संतई पप्प , एवमेव वियाहिए | आएसं पप्प साइए , सपज्जवसिए वि य ।। [१४७४] खंधा य खंधदेसा य , तप्पएसा तहेव य । परमाणुणो य बोद्धव्वा , रूविणो य चउव्विहा ।। [१४७५] एगत्तेण पुहुत्तेण खंधा य परमाणु य । लोएगदेसे लोए य . भइयव्वा ते उ खेत्तओ ।। [सुहमा सव्वलोगं मि, लोगदेसे य बायरा | इत्तो कालविभागं तु , तेसिं वुच्छं चउव्विहं ।। [१४७६] संतई पप्प तेs नाई, अपज्जवसिया वि य । ठिइं पडुच्च साइया , सपज्जवसिया वि य ।। [१४७७] असंखकालमुक्कोसं, इक्कं समयं जह न्नयं । अजीवाण य रूवीणं , ठिई एसा वियाहिया ।। ] दीपरत्नसागर संशोधितः] [95] [४३-उत्तरज्झयणं]

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