Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 94
________________ [१४३१] जा किण्हाए ठिई खलु , उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया | जहन्नेणं नीलाए , पलियमसंखं च उक्कोसा ।। [१४३२] जा नीलाए ठिई खलु , उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं काऊए , पलियमसंखं च उक्कोसा ।। [१४३३] तेण परं वोच्छामि , तेऊलेसा जहा सुरगणाणं । भवणवइवाणमंतर जोइसवेमाणियाणं च ।। [१४३४] पलिओवमं जहन्नं , उक्कोसा सागरा उ दु ण्हऽहिआ | पलियमसंखेज्जेणं, होइ भागेण तेऊए ।। [१४३५] दसवाससहस्साइं, तेऊए ठिई जहन्निया होइ । दुन्नुदही पलिओवम असंखभागं च उक्कोसा ।। [१४३६] जा तेऊए ठिई खलु , उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं पम्हाए , दस उ मुहत्त ऽहियाइं उक्कोसा ।। [१४३७] जा पम्हाए ठिई खलु , उक्कोसा सा उ समयमब्भहिया । जहन्नेणं सुक्काए , तेत्तीस मुत्तं अ ब्भहिया ।। [१४३८] किण्हा नीला काऊ , तिन्नि वि एयाओ अहम्मलेसाओ । एयाहिं तिहिवि जीवो , दुग्गइं उववज्जई बहुसो || [१४३९] तेऊ पम्हा सुक्का , तिन्निवि एयाओ धम्मलेसाओ । अज्झयणं-३४ एयाहि तिहिवि जीवो , सुग्गइं उववज्जई ।। [१४४०] लेसाहिं सव्वाहिं , पढमे समयं मि परिणयाहिं तु , । न ह कस्सइ उववाओ , परे भवे अत्थि जीवस्स || [१४४१] लेसाहिं सव्वाहिं , चरिमे समयं मि परिणया हिं तु | न हु कस्सइ उववाओ , परे भवे होइ जीवस्स || [१४४२] अंतमुहुत्तंमि गए , अंतमुहुत्तंमि सेसए चेव । लेसाहि परिणयाहिं , जीवा गच्छं ति परलोयं ।। [१४४३] तम्हा एयासि लेसाणं , अनुभावे वियाणिया । अप्पसत्थाओ वज्जित्ता , पसत्थाओऽहिट्ठिए मु नी || त्तिबेमि • चउतीसइमं अज्झयणं सम्मत्तं ० . पणतीसइमं अज्झयणं - अणगारमग्गगई . [१४४४] सुणेह मे एगग्गमणा , मग्गं बुद्धेहिं देसियं । जमायरंतो भिक्खू , दुक्खाणंतकरे भवे ।। [१४४५] गिहवासं परिच्चज्ज , पवज्जामस्सिए मु नी । इमे संगे वियाणिज्जा , जेहिं सज्जं ति मा नवा ।। [१४४६] तहेव हिंसं अलियं , चोज्जं अब भसेवणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [931 [४३-उत्तरज्झयण]

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