Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 82
________________ जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३३] लेसासु छसु काएसु , छक्के आहारकारणे । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३४] पिंडोग्गहपडिमासु, भयहाणेसु सत्तसु । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३५] मदेसु बं भगुत्तीसु, भिक्खुधम्ममि दसविहे । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३६] उवासगाणं पडिमासु , भिक्खूणं पडिमासु य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३७] किरियासु भुयगामेसु , परमाहम्मिएसु य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छइ मंडले । । [१२३८] गाहासोलसएहिं तहा असंजमं मि य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२३९] बंभंमि नायज्झयणेसु , ठाणेसु य समाहिए । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छइ मंडले । । अज्झयणं-३१ [१२४०] एगवीसाए सबले , बावीसाए परीसहे । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले । । [१२४१] तेवीसाए सूयगडे , रूवाहिएम सुरेसु अ । जे भिक्खु जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले ।। [१२४२] पणवीसभावणासु, उद्देसेसु दसाइणं । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले ।। [१२४३] अनगारगुणेहिं च , पगप्पंमि तहेव य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छई मंडले ।। [१२४४] पावसुयपसंगेसु, मोहठाणेसु चेव य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छड़ मंडले ।। [१२४५] सिद्धाइगुणजोगेसु, तेत्तीसासायणासु य । जे भिक्खू जयई निच्चं , से न अच्छइ मंडले ।। [१२४६] इइ एएसु ठाणेसु , जे भिक्खू जयई सया । खिप्पं सो सव्वसंसारा, विप्पमुच्चड़ पंडिओ || त्ति बेमि • एगतीसइमं अज्झयणं सम्मत्तं . . बत्तीसइमं अज्झयणं पमायद्वाणं . [१२४७] अच्चंतकालस्स समूलगस्स, सव्वस्स दुक्खस्स उ जो पमोक्खो । तं भासओ मे पडिपुण्णचित्ता , सुणेह एगं तहियं हियत्थं ।। दीपरत्नसागर संशोधितः] [81] [४३-उत्तरज्झयण]

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