Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अट्ठहि बी इयतयंमि, तइए दस अ द्वहिं चउत्थे ।। [१०२३] रतिं पि चउरो भागे , भिक्खू कुज्जा वियक्खणो |
तओ उत्तरगुणे कुज्जा , राइभाएसु चउसु वि ।। [१०२४] पढमं पोरिसि सज्झायं , बीयं झाणं झियायई ।
तइयाए निद्दमोक्खं तु , चउत्थी भुज्जो वि सज्झायं ।। [१०२५] जं नेइ जया रत्तिं , नक्खत्तं तं मि नहचउब्भाए |
संपत्ते विरमेज्जा , सज्झायं पओसकालं मि ।। [१०२६] तम्मेव य नक्खत्ते , गयणं चउब्भाग सावसेसंमि |
वेरत्तियंपि कालं , पडिलेहित्ता मु नी कुज्जा ।। [१०२७] पुव्विल्लंमि चउब्भाए , पडिलेहित्ताण भं डयं |
गुरुं वं दित्तु सज्झायं , कुज्जा दुक्खविमोक्खणं ।। [१०२८] पोरिसीए चउब्भाए , वंदित्ताणं तओ गुरुं ।
अपडिक्कमित्ता कालस्स , भायणं पडिलेहए ।। [१०२९] मुहपोत्तिं पडिलेहित्ता , पडिलेहिज्ज गोच्छगं |
अज्झयणं-२६
गोच्छगलइयंगुलिओ, वत्थाई पडिलेहए ।। [१०३०] उड्ढं थिरं अतुरियं , पव्वं ता वत्थमेव पडिलेहे ।
तो बिइयं पप्फोडे , तइयं च पुणो पमज्जिज्जा ।। [१०३१] अनच्चावियं अवलियं , अनानुबंधिं अ मोसलिं चेव ।
छप्पुरिमा नव खोडा , पाणीपाणिविसोहणं ।। [१०३२] आरभडा सं मद्दा, वज्जेयव्वा य मोसली तइया ।
पप्फोडणा चउत्थी , विक्खित्ता वेड्या छ ही ।। [१०३३] पसिढिलपलंबलोला, एगामोसा अ नेगरूवधुणा |
कुणइ पमाणि पमायं , संकिय गणणोवगं कुज्जा ।। [१०३४] अनूनाइरित्तपडिलेहा, अविवच्चासा तहेव य ।
पढमं पयं पसत्थं , सेसाणि 3 अप्पसत्थाई ।। [१०३५] पडिलेहणं कुणं तो, मिहो कहं कुणइ ज नवयकहं वा ।
देइ व पच्चक्खाणं , वाएइ सयं पडिच्छइ वा ।। [१०३६] पुढवी-आउक्काए, तेऊ-वाऊ-वणस्सइ-तसाणं ।
पडिलेहणा अपम त्तो, छण्हं पि विराहओ होइ ।। [१०३७] तइयाए पोरिसीए , भत्तं पा नं गवेसए ।
छण्हं अन्नतरा गंमि, कारणंमि समु ट्ठिए ।। [१०३८] वेयण वेयावच्चे , इरियट्ठाए य संजम द्वाए |
तह पाणवत्तियाए , छटुं पण धम्मचिं ताए ।। [१०३९] निग्गंथो धिइमं तो, निग्गंथी वि न करेज्ज छहिं चेव ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयण]
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