Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 17
________________ अज्झयणं-७ [२०५] इड्ढी जुई जसो वण्णो जो जत्थ [२०६] बालस्स पस्स बालत्तं चिच्चा धम्मं अहं [२०७] धीरस्स पस्स धीरत्तं [२०८] तुलियाण बालभावं नुस्सेसु, मिट्ठे, चिच्चा अधम्मं धम्मि ० [२०९] अधुवे असासयं मि, [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] चइऊण बालभावं अबालं सेवई मु 3 • सत्तमं अज्झयणं सम्मत्तं अमं अज्झयण - काविलीयं.. [२१०] विजहित्तु पुव्वसंजोयं, असिणेह सिणेहकरेहिं, [२११] तो नाणदंसणसमग्गो तेसिं विमोक्खणट्ठा [२१२] सव्वं गंथं कलहं च [२१७] पाणे य नाइवाज्जा तओ से पावयं कम्मं सव्वेसु कामजाए [२१३] भोगामिसदोसविसन्ने, बाले य मंद मूढे, [२१४] दुप्परिच्चया इमे कामा असं सुव्वा साहू, [२१५] समणा मु एगे वयमाणा मंदा निरयं गच्छं ति, [२१६] न हु पाणवहं अणुजाणे, एवं आयरिएहिं अक्खायं, 3 [२१८] जगनिस्सिएहिं भू हिं सिर दंड [२१९] सुद्धेसणाओ नच्चाणं जायाए घासमेसेज्जा [२२०] पंताणि चेव सेवेज्जा " 3 " संसारंमि दुक्खपरा I I I किं नाम होज्ज तं कम्मयं ? जेणाहं दुग्गइं न गच्छेज्जा ।। न सिणेहं कहिंचि कुव्वेज्जा दोसपओसेहिं मुच्चए भिक्खू || हियनिस्सेसाय सव्वजीवाणं भाई मुनिवरो विगो || विप्पज तहाविहं भिक्खू पासमाणो न लिप्पई ताई ।। हियनिस्सेयसबुद्धिवोच्चत्थे I " 9 " " आउं सुहम नुत्तरे तत्थ से उववज्जई ।। अहम्मं पडिवज्जिया नरसु उववज्जई ।। सच्चधम्मानुवत्तिणो " देवेसु उववज्जई ।। " अबलं चेव पंडिए 3 [16] नि || तिबेमि बज्झई मच्छिया व खेलं ० ० I मि || I I नो सुजहा अधीरपुरिसेहिं जे तरं ति अतरं वणिया वा ।। पाणवहं मिया अयाणं ता । बाला पावियाहिं दिट्ठीहिं || मुच्चेज्ज कयाइ सव्वदुक्खाणं । जेहिं इमो साहुधम्मो पन्नत्तो ।। से समीइ त्ति वुच्चई ताई निज्जाइ उदगं व थलाओ ।। तसनामेहिं थावरेहिं च I मनसा वयसा कायसा चेव || तत्थ ठवेज्ज भिक्खू अप्पा रसगिद्धे न सिया भिक्खाए || सीयपिंडं पुराणकुम्मासं I | I I I I [४३-उत्तरज्झयणं]

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