Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 20
________________ अज्झयणं-९ [२५३] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२५४] संसयं खलु सो कुणई जत्थेव गं तुमिच्छेज्जा, [२५५] एयम निसामित्ता तओ नमि रायरिसिं [२५६] आमोसे लोमहारे य नगरस्स खेमं काऊणं [२५७] एयमहं निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२५८] असइं तु म सेहिं, अकारिणोऽत्थ बज्झं ति, [२५९ ] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमि रायरिसिं [२६०] जे केई पत्थिवा तुज्झं वसे ते ठावइत्ताणं [२६१] एयमहं निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२६२] जो सहस्सं सहस्साणं एगं जिणेज्ज अप्पाणं [२६३] अप्पणामेव जुज्झाहि, अप्पणामेवमप्पाणं, [२६४] पंचिंदियाणि कोहं दुज्जयं चेव अप्पाणं [२६५] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमि रायरिसिं [२६६] जइत्ता विउले जन्ने 3 [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] 3 [ २६७ ] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२६८] जो सहस्सं सहस्साणं तस्स वि संजमो सेओ [२६९] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमि रायरिसिं 3 हेऊकारणचोइओ देविंदं इणमब्बवी || जो मग्गे कुई घरं तत्थ कुव्वेज्ज सासयं ।। हेऊकारणचोइओ देविंदं इणमब्बवी || [19] मिच्छा दंडो प मुच्चई कारओ ज देविंदो इणमब्बवी ।। गठिभेए य तक्करे I तओ गच्छसि खत्तिया ।। ऊकारणचोइओ I हेऊकारणचोइओ देविंदो इणमब्बवी ।। नानमंति नराहिवा ! तओ गच्छसि खत्तिया ।। कारणच ओ देविंदं इणमब्बवी || संगामे दुज्जए जिए एस से परमो जओ || किं ते जुज्झेण बज्झओ ति ॥ इत्ता सुह मानं मायं तहेव लोहं सव्वं अप्पे जिए जियं || | उंजई I नो ॥ कारणचोइओ देविंदो इणमब्बवी ॥ भोइत्ता समणमाहणे I I ऊकारणचोइओ देविंदं इणमब्बवी ॥ मासे मासे गवं दए अदितस्स वि किंचण | हेऊकारणचोइओ देविंदो इणमब्बवी ।। | I I I ? | च I I दच्चा भोच्चा य ज च्चा य, तओ गच्छसि खत्तिया || | I I I [४३-उत्तरज्झयणं]

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