Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 54
________________ अज्झयणं-२२ परमट्ठपएहिं चिट्ठई [७९४] विवित्तलयणाइ भएज्ज ताई इसीहिं चिण्णाई महायसेहिं [७९५] सन्नाणनाणो गए महेसी अनुत्तरे नाणधरे जसंसी [ ७९६ ] दुविहं खवेऊण य पुण्णपावं छिन्नसोए अममे अकिंचणे || निरोवलेवाइं असंथडाई | काण फासेज्ज परीसहाई ।। अनुत्तरं चरितं धम्मसंचयं । भास सुरवं तलिक्खे ।। निरंगणे सव्वओ विप्पमुक्के । रित्ता समुद्दे व महाभवोघं, समुद्दपाले अपुणागमं गए || तिबेमि एगविंसइमं अज्झयणं सम्मत्तं इस अज्झणं - रहनेमिज्जं ० [७९७] सोरियपुरंमि नयरे वसुदेव त्ति नामेणं [७९८] तस्स भज्जा दुवे आसी [७९९] सोरियपुरंमि नयरे वि " तासिंदोहं दुवे पुत्ता [ दीपरत्नसागर संशोधितः] 3 [८००] तस्स भज्जा सिवा नाम भगवं अरि नेमि त्ति [८०१] सोऽरिट्ठनेमिनामो उ अट्ठसहस्सलक्खणधरो, [८०२] वज्जरिसहसंघयणो, तस्स राईक [८०३] अह सा रायवरकन्ना सव्वलक्खणसंपन्ना, [८०४] अहाह जणओ तीसे इहागच्छउ कुमारो, [८०५ ] सव्वोसहीहिं हविओ " [८०८] चउरंगिणीए से आरूढो सोहए अहियं [८०७] अह ऊसिएण छत्तेण दसारचक्केण तओ, ए, दिव्वजुयलपरिहिओ, [८०६ ] मत्तं च गं धहत्थिं च तुरिया सन्निनाणं " 3 " " " 3 " आसि राया महि o ढिए । रायलक्खणसंजुए ।। रोहिणी देवई तहा । आसि राया महि [53] इट्ठा रामकेसवा | सुसीला चारुपेहणी । विज्जुसोयामणिप्पा || वासुदेवं हि ड्ढियं । जो से कन्नं द दामिऽहं || कयकोउयमंगलो | " ढिए । रायलक्खणसंजुए ।। तसे पुत्तो महासो । लोगनाहे दमीसरे || लक्खणस्सरसंजुओ । गोयमो कालगच्छवी ॥ समचउरंसो झसोयरो | भज्जं जायइ केसवो || आभरणेहिं विभूसिओ II वासुदेव गं । सिरे चूडामणी जहा ।। चामराहिय सोहिए । सव्वओ परिवारिओ || रइयाए जहक्कमं । दिव्वेणं गग नं फुसे || [४३-उत्तरज्झयणं]

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