Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 59
________________ अज्झयणं-२३ देसिओ वद्धमाणेण [८७६] एगकज्जपवन्नाणं, लिंगे दुवि मेहाव 5 [८७७] तओ केसिं बुवाणं तु विन्नाणेण समागम्म [८७८] पच्चयत्थं च लोगस्स जत्तत्थं गहणत्थं च [८७९] अह भवे पइन्ना उ नाणं च दंसणं चेव [८८०] साहु गोयम ! पन्ना ते अन्नोऽवि संसओ मज्झं [८८१] अनेगाणं सहस्साणं [८८२] एगे जिए जिया पंच दसहा उ जिणित्ताणं [८८३] सत्तू य इइ के वुत्ते तओ केसिं बुवंतं तु [८८४] एगऽप्पे अजिए सत्तू जिणित्तु जहानायं [८८५] साहु गोयम ! पन्ना ते अन्नोऽवि संसओ मज्झं तेय ते अहिगच्छं ति, [८८६] दीसंति बहवे लोए मुक्कपासो लहुब्भूओ [८८७] ते पासे सव्वसो छित्ता मुक्पासो लहुब्भूओ [८८८] पासा य इइ के वुत्ता तओ केसिं तं [८८९] रागद्दोसादओ तिव्वा [८९०] साहु गोयम ! पन्ना [८९२] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] छिं दित्ता जहानाय [८९१] अंतो पासेण य महाजसा || विसेसे किं नु कारणं कहं विप्पच्चओ न ते ? " अन्नोऽवि संसओ मज्झं हिअयसंभूया, फलेइ विसभक्खी णं, तं लयं सव्वसो छित्ता " " 3 " 9 " 3 9 " " [58] चरित्तं चेव निच्छए || छिन्नो मे संसओ इमो । तं हसु गोयमा मज्झे चिट्ठसि गोयमा कहं ते निज्जिया तुमे गोयमो इणमब्बवी । धम्मसाहणमिच्छ्रियं ॥ विहविगप्प लोगे लिंगपओयणं ।। ? I मोक्खसब्भूयसाहणा । हं तं विहरसी मु " पंच जिए जिया दस । सव्वसत्तू जिणामऽहं ।। ? केसी गोयममब्बवी । गोयमो इणमब्बवी ॥ कसाया इं दियाणि य । विहराम अहं नी । मु छिन्नो मे संसओ इमो । तं मे कहसु गोयमा ! || " पासबद्धा सरीरिणो । लया चिठ्ठइ गोयमा सा उ उद्धरिया कहं || हिंण उवायओ । विहरामि अहं मु नी! ।। कहसु गोयमा ! || ! | ? 11 ? केसी गोयममब्बवी । गोयमो इणम ब्बवी || पासा भयंकरा | विहरामि जहक्कमं ॥ छिन्नो मे संसओ इमो । तं ! || ! | नी! | ? 11 उद्धरित्ता समूलियं । [४३-उत्तरज्झयणं]

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