Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अज्झयणं-२३
सम्मग्गं तु जि नक्खायं, [९१०] साहु गोयम ! पन्ना अन्नोऽवि संसओ मज्झं [९११] महाउदगवेगेण,
सरणं ग इं पइट्ठा य
[ ९१२] अत्थि एगो महादीवो महाउदगवेगस,
तं
[९१३] दीवे य इइ के वुत्ते तओ केसिं [९१४] जरामरणवेगेणं, धम्मो दीवो पइट्ठा य
[९१५] साहु गोयम ! पन्ना ते अन्नोऽवि संसओ मज्झं
[ ९१६] अन्नवंसि महोहंसि
[९१८] नावा य इइ का वुत्ता तओ केसिं वंतंतु
[९१७] जा उ अस्साविणी नावा
जा निरस्साविणी नावा
[९१९] सरीरमाहु नाव त्ति
संसारो अण्णवो वुत्तो
[९२१] अंधयारे तमे घोरे
को करिस्सइ उज्जोयं [ ९२२] उग्गओ विमलो भा
[९२०] साहु गोयम ! पन्ना ते
अन्नोऽवि संसओ मज्झं
सो करिस्सइ उज्जोयं
[९२३] भानु य इइ के वुत्ते
[ ९२४] उग्गओ खीणसंसारो
"
जंसि गोयममारूढो कहं पारं गमिस्ससि
सो करिस्सइ उज्जोयं
[ ९२५] साहु गोयम ! पन्ना
[ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
"
[९२६] सारीरमानसे दुक्खे
"
"
एस मग्गे हि उत्तमे ॥
छिन्नो मे संसओ इमो ।
तं मे कहसु गोयमा
वुज्झमाणाण पाणिणं ।
दीवं कं मन्नसी ? मुनी ! || वारिमज्झे महालओ ।
"
अन्नोऽवि संसओ मज्झं
"
गई तत्थ न विज्जई ||
?
केसी गोयममब्बवी | गोयमो इणमब्बवी || वुज्झमाणाण पाणिणं ।
9
"
"
"
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?
नू,
?
केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बवी ।।
गई सरणमुत्तमं ।।
छिन्नो मे संसओ इमो । तं कहसु गोयमा
नावा विपरिधावई ।
[60]
! ||
? ।।
न सा पारस्स गामिणी ।
सा उ पारस्स गामिणी || ? केसी गोयममब्बवी |
गोयमो इणमब्बवी ॥
जीवो वुच्चइ नाविओ ।
जं तरंति महेसिणो ||
छिन्नो मे संसओ इमो ।
तं मे कहसु गोयमा चिट्ठति पाणिणो बहू सव्वलोयंमि पाणिणं ||
I
! ||
! ||
सव्वलोयपभंकरो ।
सव्वलोयंमि पाणिणं ||
केसी गोयममब्बवी |
सव्व जि नभक्खरो । सव्वलोयंमि पाणिणं ||
छिन्नो मे संसओ इमो ।
तं मे कह गोयमा ! ।।
बज्झमाणाण पाणिणं ।
[४३-उत्तरज्झयणं]
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