Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 63
________________ [९४२] दव्वओ चक्खुसा पेहे , जुगमित्तं च खेत्तओ । कालओ जाव री एज्जा, उवउत्ते य भावओ ।। [९४३] इंदियत्थे विवज्जित्ता , सज्झायं चेव पं चहा | तम्मुत्ती तप्पुरक्कारे , उवउत्ते रियं रिए ।। [९४४] कोहे मा ने य मायाए , लोभे य उवउत्तया । हासे भये मोहरिए , विकहासु तहेव य ।। [९४५] एयाइं अट्ठ ठाणाई , परिवज्जितु संजए । असावज्जं मियं काले , भासं भासिज्ज पन्नवं ।। [९४६] गवसणाए गहणे य परिभोगेसणा य जा । आहारोवहिसेज्जाए, एए तिन्नि विसोहए ।। [९४७] उग्गमुप्पायणं पढमे , बीए सोहेज्ज एसणं । परिभोयंमि चउक्कं , विसोहेज्ज जयं जई ।। [९४८] अहोवहोवग्गहियं, भंडगं दुविहं मु नी । अज्झयणं-२४ गिण्हंतो निक्खिवं तो वा , पउंजेज्ज इमं विहिं ।। [९४९] चक्खुसा पडिलेहित्ता , पमज्जेज्ज जयं जई । आइए निक्खिवेज्जा वा , दुहओऽवि समिए सया ।। [९५०] उच्चारं पासवणं , खेलं सिंघाण जल्लियं । आहारं उवहिं देहं , अन्नं वावि तहाविहं ।। [९५१] अनावायमसंलोए, अनावाए चेव होइ संलोए । आवायमसंलोए, आवाए चेव संलोए || [९५२] अनावायमसंलोए, परस्सऽनुवघाइए । समे अज्झुसिरे वाऽवि, अचिरकालकयंमि य ।। [९५३] विच्छिन्ने दुरमोगढे , नासन्ने बिलवज्जिए | तसपाणबीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे ।। [९५४] एयाओ पं च समिईओ , समासेण वियाहिया । एत्तो य तओ गुत्तीओ , वोच्छामि अ नुपुव्वसो ।। [९५५] सच्चा तहेव मोसा य , सच्चमोसा तहेव य । चउत्थी असच्चमोसा य , मनगुत्ति चउव्विहा ।। [९५६] संरंभसमारंभे, आरंभे य तहेव य । मनं पवत्तमाणं तु , नियत्तेज्ज जयं जई ।। [९५७] सच्चा तहेव मोसा य , सच्चमोसा तहेव य । ___ चउत्थी असच्चमोसा य , वइगुत्ती चउव्विहा ।। [९५८] संरंभसमारंभे, आरंभे य तहेव य । वयं पवत्तमाणं तु नियत्तेज्ज जयं जई ।।। दीपरत्नसागर संशोधितः] [62] [४३-उत्तरज्झयणं]

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