Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 51
________________ [७४४] सयं च जइ मुच्चेज्जा , वेयणा विउला इओ । खंतो दं तो निरारं भो, पव्वए अ नगारियं ।।। [७४५] एवं च चिं तइत्ताणं, पासुत्तो मि नराहिवा ! | परीयदृतीए राईए , वेयणा मे खयं गया ।। [७४६] तओ कल्ले पभायं मि, आपुच्छित्ताण बं धवे । खंतो दं तो निरारं भो, पव्वइओ अन गारियं ।।। [७४७] ततोऽहं नाहो जाओ , अप्पणो य परस्स य । सव्वेसिं चेव भूयाणं , तसाणं थावराण य || [७४८] अप्पा नई वेयरणी , अप्पा मे कूडसामली । अ प्पा कामदुहा धे नू, अप्पा मे नं दनं व नं ।। [७४९] अप्पा कत्ता विकत्ता य दुहाण य सुहाण य अ प्पा मित्तममित्तं च , दुप्पट्ठिय सुपट्ठिओ ।। [७५०] इमा हु अन्ना वि अ नाहया निवा! तमेगचित्तो निहुओ सुणेहि । अज्झयणं-२० नि यंठधम्मं लहीयाण वी जहा , सीयंति एगे बहुकायरा नरा || [७५१] जो पव्वइत्ताण महव्वयाइं , सम्मं च नो फासयई पमाया । अनिग्गहप्पा य रसेसु गिद्धा , न मूलओ छिन्नइ बं धनं से || [७५२] आउत्तया जस्स न अत्थि काइ , इरियाए भासाए तहेसणाए । आयाणनिक्खेवदुगुंछणाए, न वीरजायं अ नजाइ मग्गं ।।। [७५३] चिरं पि से मुं डरुई भवित्ता , अथिरव्वए तवनियमेहिं भढे । चिरं पि अप्पाण किलेसइत्ता , न पारए होइ हु संपराए ।। [७५४] पोल्ले व मुट्ठी जह से असारे , अयंतिए कूडकहाव ने वा । राढामणी वेरुलियप्पगासे , अमहग्घए होइ हु जाणएसु || [७५५] कुसीललिंग इह धारइत्ता , इसिज्झयं जीविय बूहइत्ता । असंजए संजय लप्पमाणे, विनिग्घायमागच्छड़ से चिरंपि ।। [७५६] विसं तु पीयं जह कालकूडं , हणाइ सत्थं जह कुग्गहीयं । ए सो वि धम्मो विसओव वन्नो, हणाइ वेयाल इवाविवन्नो || [७५७] जे लक्खणं सुविण पउंजमाणे , निमित्तकोऊहलसंपगाढे । कुहेडविज्जासवरदारजीवी, न गच्छई सरणं तं मि काले ।। [७५८] तमंतमेणेव उ से असीले , सया दुही विप्परिया सुवेइ । संधावई नरगतिरिक्खजोणिं , मोनं विराहेत्त् असाहरुवे ।। [७५९] उद्देसियं कीयगडं नियागं , न मुंचई किंचि अ नेसणिज्जं । अ ग्गी विवा सव्वभक्खी भवित्ता , इत्तो चुए गच्छइ कट्ट पावं || [७६०] न तं अरी कंठ छेत्ता करे इ, जं से करे अप्पणिया दुरप्पा । से नाहि इं मच्चुमुहं तु पत्ते , पच्छानुतावेण दयाविहूणो || दीपरत्नसागर संशोधितः] [50] [४३-उत्तरज्झयण]

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