Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अमोहाहिं पडं तीहिं, गिहंसि न रइं लभे ।। [४६३] केण अब्भाहओ लोगो , केण वा परिवारिओ ।
का वा अमोहा वुत्ता , जाया चिंतावरो हमे ।। [४६४] ___ मच्चुणाऽब्भाहओ लोगो , जराए परिवारिओ ।
अमोहा रयणी वुत्ता , एवं ताय विजाणह ।। [४६५] जा जा वच्चइ रयणी , न सा पडिनियत्तई ।
अहम्मं कुणमाणस्स , अफला जं ति राइओ ।। [४६६] जा जा वच्चइ रयणी , न सा पडिनियत्तई ।
धम्मं च कुणमाणस्स , सफला जं ति राइओ ।।
अज्झयणं-१४
[४६७] एगओ संवसित्ताणं , दुहओ सम्मत्तसंजुया ।
पच्छा जाया गमिस्सामो, भिक्ख [४६८] जस्सऽत्थि मच्चुणा सक्खं, जस्स वऽत्थि पलायणं ।
जो जाणे न मरिस्सामि , सो हु कंखे सुए सिया ।। [४६९] अज्जेव धम्म पडिवज्जयामो , जहिं पवन्ना न पुणब्भवामो ।
अनागयं नेव य अत्थि किंचि , सद्धा खमं नो विणइत्तु रागं ।। [४७०] पहीणपुत्तस्स हु नत्थि वासो , वासिडि! भिक्खायरियाइ कालो ।
साहाहिं रुक्खो लहई समाहिं , छिन्नाहि साहाहिं तमेव खाणुं ।। [४७१] पंखाविहणो व्व जहेह पक्खी , भिच्चाविहणो व्व रणे न रिंदो ।
विवन्नसारो वणिओ व्व पोए , पहीणपुत्तो मि तहा अहंपि ।। सुसंभिया कामगुणा इमे ते , संपिंडिआ अग्गरसाप्पभूया ।
भुंजामु ता कामगुणे पगामं , पच्छा गमिस्सामु पहाणमग्गं ।। [४७३] भुत्ता रसा भोइ ! जहाइ णे वओ , न जीवियद्वा पजहामि भोए ।
लाभं अलाभं च सुहं च दुक्खं , संचिक्खमाणो चरिस्सामि मोनं ।। [४७४] मा हु तुमं सोयरियाण सं भरे, जुण्णो व हंसो पडिसोत्तगामी ।
भुंजाहि भोगाई मए समाणं , दुक्खं खु भिक्खायरिया विहारो || [४७५] जहा य भोई तणुयं भुयंगो , निम्मोयणिं हिच्च पलेइ मुत्तो ।
एमए जाया पयहं ति भोए, तेऽहं कहं ना नगमिस्समेक्को ? || [४७६] छिंदित्तु जालं अबलं व रोहिया , मच्छा जहा कामगुणे पहाय ।
धोरेयसीला तवसा उदारा , धीरा ह भिक्खायरियं चरं ति ।। [४७७] नहेव कुंचा समइक्कम्मंता , तयाणि जालाणि दलित्तु हंसा ।
पलेंति पुत्ता य पई य मज्झं , तेऽहं कहं ना नुगमिस्समेक्का ।। [४७८] पुरोहियं तं ससुयं सदारं , सोच्चाऽभिनिक्खम्म पहाय भोए ।
कुडुंबसारं विउलुत्तमं च , रायं अभिक्खं समुवाय देवी ।। [४७९] वंतासी पुरिसो रायं ! न सो होइ पसंसिओ ।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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