Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 47
________________ अज्झयणं- १९ उल्लिओ फालिओ गहिओ 3 [६७९] वीदंसएहिं जालेहिं गहिओ लग्गो बद्धो य [६८०] कुहाडफरसुमाईहिं, कुट्टओ फालिओ छिन्नो [६८१] चवेडमुट्ठिमाईहिं, ताडिओ कुट्टिओ भिन्नो [६८२] तत्ताइं तं बलोहाई, पाइओ कलकलं [६८३] तुहं पियाइं ताई, मंसाई, खाइओ मि समंसाइं [ ६८४] तुहं पिया सुरा सीहू पाइओ मि जलं [ ६८५ ] निच्चं भीएण तत्थे परमा दुहसंबद्धा [६८६] तिव्वचंडप्पगाढाओ, महब्भयाओ भीमाओ [६८७] जारिसा मा नुसे लोए एत्तो अ नंतगुणिया, [६८८] सव्वभवेसु अस्साया निमेसंतरमित्तंपि, तीओ, [ ६८९ ] तं बिं तऽम्मापियरो, नवरं पुण सामण्णे [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [ ६९०] सो बेइ अम्मापियरो पडिकम्मं को कुणई [६९१] एगब्भूए अरण्णे वा एवं धम्मं चरिस्सामि [ ६९२] जहा मिगस्स आयंको अच्चंत रुक्खमूलं मि, [६९३] को वा से ओसहं देइ को से भत्तं च पा [ ६९४] जया य से सुही होइ भत्तपानस्स अट्ठाए, [ ६९५] खाइत्ता पाणियं पाउं " 3 ण, 3 " " " " " " " " वड्ढईहिं दुमो विव लेप्पाहिं सउणो विव मारिओ य अ कुमारेहिं अयं पिव I चुण्णिओ य अ नंतसो || ताई सीसयाणि य आरसंतो सुभेरवं ।। | खंडाई सोल्लगाणि य मारिओ य अ नंतसो || नरसु दुक्खवेयणा ।। वेयणा वेड्या मए जं साया नत्थि वेयणा ।। नं वा वसाओ रुहिराणि य ।। दुहिण वहिण य वेणा वेड्या मए || घोराओ अइदुस्सहा नर वेड्या मए || ताया! दीसं ति वेयणा नंतसो || I तच्छिओ य अनंतसो || 9 अग्गिवण्णाइऽनेगसो || ओय महूणि य छंदेणं पुत्त ! पव्वया दुक्खं निप्पडिकम्मा || एवमेयं जहा फुडं अरण्णे मियपक्खिणं ? [46] कोणं ताहे " जहा उ चरई मिगे संजमेण तवेण य ।। महारणंमि जायई चिगिच्छिई ।। को वा से पुच्छई सुहं तया गच्छ गोयरं वल्लराणि सराणि य ।। वल्लरेहिं सरेहिं य आहरित्तु पणामए ? || I || I I I I I I | I I I I I I [४३-उत्तरज्झयणं]

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