Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 43
________________ [६१३] कहं धीरे अहेऊहिं , अत्ताणं परियावसे । सव्वसंगविनिम्मुक्के, सिद्धे भवइ नीरए । त्ति बेमि ___ • अट्ठारसमं अज्झयणं सम्मत्तं . ० एगूणवीसइमं अज्झयणं - मियापत्तिज्जं . [६१४] सुग्गीवे नयरे रम्मे , काननुज्जाणसोहिए । राया बलभद्दि त्ति , मिया तस्स ऽग्गमाहिसी ।। [६१५] तेसिं पुत्ते बलसिरी , मियापुत्ते त्ति विस्सुए । अम्मापिऊण दइए , जवराया दमीसरे ।। [६१६] नंदने सो उ पासाए , कीलए सह इत्थिहिं । देवे दोगुं दगे चेव , निच्चं मुइयमा नसो || [६१७] मणिरयणकोट्टिमतले, पासायालोयणढिओ । अज्झयणं-१९ आलोएड नगरस्स , चउक्कत्तियचच्चरे || [६१८] अह तत्थ अइच्छं तं, पासई समणसंजयं तवनियमसंजमधर, सीलड्ढं गुणआगरं ।। [६१९] तं पेहई मियापुत्ते , दिट्ठीए, अनिमिसाए उ । कहिं मन्नेरिसं रूवं , दिट्ठपुव्वं मए पुरा || [६२०] साहुस्स दरिसणे तस्स , अज्झवसाणंमि सोहणे । ___ मोहं गयस्स सं तस्स, जाईसरणं समुप्पन्नं ।। [६२१] देवलोग चुओ संतो मानसं भवमागओ सण्णिनाणे समुप्पन्ने जाइं सरइपुराणयं [६२२] जाईसरणे समुप्पन्ने , मियापुत्ते महि इढिए । सरई पोराणियं जाइं , सामण्णं च पुरा कयं ।। [६२३] विसएस अरज्जं तो, रज्जंतो संजमं मि य । अम्मापियरं उ वागम्म, इमं वयणमब्बवी ।। णि मे पंच महव्वयाणि | नरएसु दुक्खं च तिरिक्खजोणिसु । निविण्णकामो मि महण्णवाओ । अणुजाणह पव्वइस्सामि अम्मो ।। [६२५] अम्मताय! मए भोगा , भुत्ता विसफलोवमा । पच्छा कडुयविवागा , अनुबंधदुहावहा || [६२६] इमं सरीरं अ निच्चं, असुइं असुइसंभवं । असासयावासमिणं, दुक्खकेसाण भायणं ।। [६२७] असासए सरीरं मि, रइं नोवलभामहं दीपरत्नसागर संशोधितः] [42] [४३-उत्तरज्झयणं]

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