Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 30
________________ तेसिं फलविवागेण , विप्पओगमुवागया ।। [४१५] सच्चसोयप्पगडा, कम्मा मए पुरा कडा ते अज्ज परिभुंजामो , किं नु चित्तेवि से तहा ।। [४१६] सव्वं सुचिण्णं सफलं नराणं, कडाण कम्माण न मोक्ख अत्थि । अत्थेहिं कामेहिं य उत्तमेहिं , आया ममं पुण्णफलोववेए || [४१७] जाणासि संभूय ! महा नुभागं, महिइढियं पुण्णफलोववेयं । अज्झयणं-१३ चित्तं पि जाणाहि तहेव रायं ! इड्ढी जुई तस्सवि अप्पभूया ।। [४१८] महत्थरूवा वयणप्पभूया , गाहाणुगीया नरसंघमज्झे । जं भिक्खुणो सीलगुणोववेया , इह जयं ते समणोऽ म्हि जाओ || उच्चोअए मह कक्के य बं भे, पवेइया आवसहा य रम्मा । इमं गिहं चित्तध नप्पभूयं, पसाहि पंचालगुणोववेयं ।। [४२०] नदे॒हिं गीएहिं य वाइएहिं , नारीजणाहिं परिवारयं तो । भुंजाहि भोगाइ इमाइ भिक्खू , मम रोयई पव्वज्जा हु दुक्खं ।। [४२१] तं पुव्वनेहेण कयाणुरागं , नराहिवं कामगुणेसु गिद्धं । धम्मस्सिओ तस्स हियाणुपेही , चित्तो इमं वयणम्दाहरित्था ।। [४२२] सव्वं विलवियं गीयं , सव्वं नर्से विडम्बियं । सव्वे आभरणा भारा , सव्वे कामा दुहावहा || [४२३] बालाभिरामेसु दुहावहेसु , न तं सुहं कामगुणेसु रायं । विरत्तकामाण तवोधणाणं , जं भिक्खुणं सीलगुणे रयाणं ।। नरिंद जाई अहमा नराणं , सोवागजाई दुहओ गयाणं । जहिं वयं सव्वज नस्स वेस्सा , वसीअ सोवागनिवेस नेसु ।। [४२५] तीसं य जाईइ उ पावियाए वुच्छा म सोवागनिवेस नेसु । सव्वस्स लोगस्स दुगंछणिज्जा , इहं तु कम्माइं पुरे कडाइं ।। [४२६] सो दाणिसिं राय महा नुभागो, महिड्ढिओ पुण्णफलोववेओ । चइत्तु भोगाइं असासयाइं , आदानहेडं, अभिनिक्खमाहि ।। [४२७] इह जीवीए राय असासयं मि, धणियं तु पुण्णाइं अकुव्वमाणो । से सो यई मच्चुमुहोवणीए , धम्म अकाऊण परंमि लोए ।। [४२८] जहेह सीहो व मियं गहाय , मच्चू नरं नेइ हु अं तकाले । न तस्स माया व पिया व भाया , कालंमि तम्मसहरा भवं ति ।। [४२९] न तस्स दुक्खं विभयं ति नाइओ, न मित्तवग्गा न सुया न बंधवा [४२४] एक्को सयं पच्चणुहोइ दुक्खं , कत्तारमेव अणुजाइ कम्मं ।। [४३०] चिच्चा दुपयं च चउप्पयं च , खेत्तं गिहं धणधन्नं च सव्वं । सकम्मबीओ अवसो पया इ, परं भवं सुंदरं पावगं वा ।। दीपरत्नसागर संशोधितः] [29] [४३-उत्तरज्झयण]

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