Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अज्झयणं-१०
कालं संखिज्जसं नियं, [३०२] चउरिंदियकायमइगओ, कालं संखिज्जसं नियं, [३०३] पंचिंदियकायमइगओ, सत्तट्ठभवगहणे,
[ ३०४] देवे नेरइए अइगओ
इक्केक्कभवगहणे,
[ ३०५ ] एवं भवसंसारे
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जीवो पमायबहुलो,
[३०६] लद्धूणऽवि मा नुसत्तणं,
बहवे दसुया मिलक्खुया, [३०७] लद्धूणऽवि आरियत्तणं, विगिलिंदियया ह दीसई [३०८] अहीणपंचेंदियत्तं पि से
लहे
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समयं गोयम ! मा पमाय ।।
कुतित्थिनिसेवए ज ने, [३०९] लद्धूण वि उत्तमं सुइं सद्दहणा रवि दुल्लहा
मिच्छित्तनिसेवए ज ने,
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
[३११] परिजूरइ ते सरीरयं
से सोयबले य हायई
[३१२] परिजूरइ ते सरीरयं
से चक्खुब यहा
[३१३] परिजूरइ ते सरीरयं
समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे समयं गोयम ! मा पमायए ।।
से घाणबले य हायई
[३१४] परिजूरइ ते सरीरयं
[ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
उक्कोसं जीवो उ संवसे
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
संसरइ सुहासुहिं कम्मेहिं समयं गोयम ! मा पमायए ।।
[३१०] धम्मं पि हु सद्दहं तया,
इह कामगुणेहिं मुच्छिया
से जिब्भबले य हायई
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[३१५] परिजूरइ ते सरीरयं
से फासबले य हायई [३१६] परिजूरइ ते सरीरयं
से सव्वबले य हायई [३१७] अरई गं ड विसूइया,
विहडइ विद्धंसइ ते सरीरयं [३१८] वोच्छिंद सिणेहमप्पणो,
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सा पंडुरा हवं ति
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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आरिअत्तं पु रवि दुल्लह समयं गोयम ! मा पमायए ।। अहीणपंचेंदिंयया हु दुल्हा समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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सा पंडुरया हवं ति
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
केसा पं डुरया हवं ति ते
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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उत्तमधम्मसुई हु दुल्लहा ।
सा पंडुरया हवं ति
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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दुल्लहया कारण फासया
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समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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केसा पंडुरया हवं ति
समयं गोयम ! मा पमायए ।।
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[22]
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सापं डुरया हवं ति ते
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समयं गोयम ! मा पमायए ।। आयंका विविहा फुसं ति समयं गोयम ! मा पमायए ।। कुमुयं सारइयं व पाणियं
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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