Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 21
________________ अज्झयणं-९ [२७०] घोरासमं चइत्ताणं इहेव पोसहरओ [२७१] एयमहं निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२७२] मासे मासे तु जो बालो न सो सुक्खायधम्मस्स कालं अग्घइ सोलसिं ।। [२७३] एयमट्टं निसामित्ता हेऊकारणचोइओ तओ नमि रायरिसिं [२७७] पुढवी साली जवा चेव पडिपुण्णं नालमेगस्स [२७८] एयम निसामित्ता तओ नमिं रायरिसिं [२७९] अच्छेरगमब्भुद, असंते कामे पत्थेसि [ २८०] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [ २८१] सल्लं कामा विसं कामा कामे भोए पत्थमाणा [ २८२] अहे वयं ति कोहेणं माया गई पडिग्घाओ [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] [२७४] हिरण्णं सुवण्णं मणिमुत्तं कोसं च वड्ढाइत्ताणं, [ २७५ ] एयमट्ठे निसामित्ता तओ नमी रायरिसी [२७६] सुवण्णरुप्पस्स उ पव्वया भवे । 3 अन्नं पत्थेस आसमं भवाहि मणुयाहिवा ।। ऊकारणचोइओ देविंदं इणमब्बवी ॥ कुसग्गेण तु भुंज 3 3 " " नरस्स लुद्धस्स न तेहिं किंचि । [ २८३] अवउज्झिऊण माहणरूवं वंदइ अभित्थुणं तो, [ २८४] अहो ते निज्जिओ कोहो अहो निरक्किया माया [२८५] अहो ते अज्जवं साहु अहो ते उत्तमा खंती, 2 तओ गच्छसि खत्तिया ।। 3 कारणचोइओ दविदं इणमब्बवी || सिया 3 [20] देविंदो इणमब्बवी ॥ कंसं दूसं च वाह नं । हु भोए चयसि पत्थिवा हेऊकारणचोइओ देविंदो इणमब्बवी || ! इच्छा हु आगाससमा अनंतया || हिरण्णं पसुभिस्सह | इइ विज्जा तवं चरे || संकप्पेण विहं मसि || हेऊकारणचोइओ देविंदं इणमब्बवी || कामा आसीविसोवमा इमाहिं महुराहिं वग्गूहिं || I केलासमा असंखया । अकामा जं ति दोग्गई || अहमा गई लोभाओ दुहओ भयं ।। विउव्विऊण इं दत्तं I I अहो मा नो पराजिओ अहो लोभो वसीकओ || अहो ते साहु मद्दवं अहो ते मुत्ति उत्तमा ।। I | I | I I I I 1 I [४३-उत्तरज्झयणं]

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