Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अज्झयणं-९
[ २८६] इहं सि उत्तमो भं
लोगुत्तमुत्तमं ठाणं
[२८७] एवं अभित्थुणं तो, पयाहिणं क रेंतो,
[ २८८] तो वं दिऊण पाए
आगासेणुप्पइओ,
[ २८९] नमी नमेइ अप्पाणं
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[दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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चइऊणं गेहं च व
[२९०] एवं करें ति संबुद्धा विणियदृंति भोगेसु, जहा से नमी रायरिसी
नवमं अज्झयणं सम्मत्तं •
दसमं अज्झयणं - दुमपत्तयं •
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[२९१] दुमपत्तए पंडुयए जहा
एवं मणुयाण जीवियं
[२९२] कुसग्गे जह ओसबिं एवं मणुयाणं जीवियं
[२९३] इइ इत्तरियं मि आउए विहुणाहि रयं पुरे कडं [२९४] दुल्लहे खलु माणुसे भवे गाढा य विवाग कम्मुणो [२९५] पुढविकायमइगओ, कालं संखाईयं [२९६] आउकायमइगओ,
कालं संखाईयं [२९७] तेउकायमइगओ,
कालं संखाई [२९८] वाउकायमइगओ,
कालं संखाईयं [२९९] वणस्सइकायमइगओ,
ते!
कालमनंतदुरंतयं, [ ३००] बेइंदियकायमइगओ,
कालं संखिज्जसं नियं, [ ३०१] तेइंदिकायमइगओ,
इदेही,
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पच्छा होहिसि उत्तमो
सिद्धिं गच्छसि नीरओ ||
रायरिसिं उत्तमाए सद्धाए
दई सक्को ।।
चक्कंकुसलक्खणे मु निवरस्स
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ललियचवलकुंडलतिरीडी ।। सक्खं सक्केण चोइओ सामण्णे पज्जुवट्ठिओ ।।
पंडिया पवियक्खणा
निवडइ राइगणाण अ च्छए
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समयं गोयम ! मा पमायए ।। दुए,
थोवं चिट्ठइ लं बमाणए
समयं गोयम ! मा पमायए ।। जीवियए बहुपच्चवायए
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समयं गोयम ! मा पमायए ।। चिरकालेण वि सव्वपाणिणं समयं गोयम ! मा पमाय उक्कोसं जीवो उ संवसे समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे
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समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे
समयं गोयम ! मा पमायए || उक्कोसं जीवो उ संवसे
समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे समयं गोयम ! मा पमायए । उक्कोसं जीवो उ संवसे समयं गोयम ! मा पमायए ।। उक्कोसं जीवो उ संवसे
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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