Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 15
________________ अज्झयणं-६ [१७२] जे केई सरीरे सत्ता मनसा कायवक्केणं [ १७३ ] आवन्ना दीहमद्धाणं तम्हा सव्वदिसं पस्सं [१७४] बहिया उ ड्ढमादाय, पुव्वकम्मक्खयट्ठाए, [१७५] विविच्च कम्मुणो हेउं मायं पिंडस्स पाणस्स [१७६] सन्निहिं च न कुव्वेज्जा पक्खी पत्तं समादाय [१७७] एसणासमिओ लज्ज अप्पमत्तो पत्तेहिं ० [१७९] जहाssएसं समुद्दिस्स ओयणं जवसं देज्जा [१८०] तओ से पुट्ठे परिवूढे पीणिए विउले देहे [१८१] जाव न एइ आएसे अह पत्तं मि आएसे [१८२] जहा से खलु उरब्भे एवं बाले अहं [१८३] हिंसे बाले मुसावाई अन्नदत्तहरे तेणे [१८४] इत्थीविसयगिद्धे य माणे रं [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] 9 3 [१८५] अयकक्करभोइ य आउयं नरए कंखे [१८६] आसनं सय नं जाणं दुस्साहडं धणं हिच्चा [१८७] तओ कम्मगुरू जंतू अएव्व आगयाssएसे 3 मिट्ठे, " 3 " वण्णे रुवे य सव्वसो सव्वे ते दुक्ख इमं देहं 3 संसारंमि अ अप्पमत्तो परिव्वए || नावकखे कयाइ वि गामे अ नियओ चरे पिंडवायं गवेसए || [१७८] एवं से उदाहुअ नुत्तरनाणी, अनुत्तरदंसी अणुत्तरनाण । दंसणधरे अरहा नायपुत्ते, भगवं वेसालिए वियाहिए ।। त्ति बेमि छटुं अज्झयणं सम्मत्तं • • सत्तमं अज्झयणं- उरब्भिज्जं [14] भवा ।। नंत कालकंखी परिव्वए कडं लद्धूण भक्ख || लेवमाया संज माइ कं उदाहरे ।। निरवेक्खो परिव्वए || ० नु कोइ पोसेज्ज एलयं पोसेज्जावि सयं गणे || जय हो आएसं परिकंखए || ताव जीवइ दु सीसं छेत्तूण भुज्जई || आएसाए समीहिए ईहति नरयाउयं ।। अद्धामि विलोवए हरे सढे । महारंभपरिग्ग परिवूढे परंदमे ।। तुंडिल्ले चियलोहिए जहाएस व एलए || वित्तं कामे य भुंजिया बहु संचिणिया रयं ।। I पच्चुप्पन्नपरायणे मरणंतंमि सोयई || I I I I I I I T I I 1 I [४३-उत्तरज्झयणं]

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