Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 13
________________ अज्झयणं-५ पभीओ परलोगस्स [१४०] सुया मे नरए ठाणा बालाणं कूरकम्माणं [१४१] तत्थोववाइयं ठाणं अहाकम्मेहिं गच्छं तो, [ १४२ ] जहा सागडिओ जाणं विसमं मग्गमोइणो [१४३] एवं धम्मं विउक्कम्मं बाले मच्चुमुहं पत्ते [ १४४] तओ से मरणं अ काम मरणं मई [१४५] एयं अकाममरणं एत्तो काममरणं [१४६] मरणं पि सपुण्णाणं विप्पसण्णमनाघायं, [ १४७ ] न इमं सव्वेसु भिक्खूसु नानासीला गारत्था [१४८] संति एगेहिं भिक्खूहिं गारत्थेहि य सव्वेहिं [१४९ ] चीराजिणं नगिणिणं याइं विनतायं [१५० ] पिंडोलए व्व दुस्सीले " तंमि, 3 [ दीपरत्नसागर संशोधितः] " " भिक्खाए वा गिहत्थे वा [१५१] अगारिसामाइयंगाई, पोसहं दुहओ पक्खं [१५२ ] एवं सिक्खासमावन्ने मुच्चई छविपव्वाओ [१५३] अह जे संवुडे भिक्खू सव्व दुक्खपणे वा [१५४] उत्तराइं विमोहाई " अहम्मं पडिवज्जिया अक्खे भग्गे व सोयई । बाले संतसई भया व " कम्माणुप्पेहि अप्पणो ।। असीलाणं च जा गई पगाढा जत्थ वेयणा || जहा मेयम सो पच्छा परितप्पई ।। नुस्सुयं बाला तु पवेइयं पंडियाणं सुणेह मे । जहा मेयम नुस्सुयं संजयाण वसीमओ ।। न इमं सव्वेसु गारिसु विसमसीला य भिक्खुणो ।। गारत्था संजमुत्तरा साहवो संजमुत्तरा ।। जडी संघाडि मुंड ति, समं हिच्चा महापहं I अक्खे भग्गं मि सोयई || I समाइणाइं जक्खेहिं [१५५] दीहाउया इ ढिमंता, हुणोववन्नसंकासा, अ [१५६] ताणि ठाणाणिं गच्छं ति, [12] जिए || दुस्सीलं परियागयं ।। नरगाओ न मुच्चई 3 सुव्व कम्मई दिवं ।। सढी कारण फासए एगरायं न हावए || गिहिवासे वि सुव्व गच्छे जक्खसलोगयं ॥ दोहं अन्नयरे सिया देवे वाऽवि महिड्दिए || जुईमंताणुपुव्वसो आवासाइं जसंसिणो || समिद्धा कामरूविणो | भुज्जो अच्चिमालिप्पभा ।। सिक्खित्ता संजमं तवं | I | I | I I I I I I I | I [४३-उत्तरज्झयणं]

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