Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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अदुवा वंचिओ मित्ति, इइ भिक्खू न चिंतए ।। [९४] अभू जिणा अत्थि जिणा , अदुवाऽवि भविस्सई ।
मुसं ते एवमाहंसु , इइ भिक्खू न चिंतए ।। [९५] एए परीसहा सव्वे , कासवेण पवेइया ।
अज्झयणं-२
जे भिक्खू न विहम्मेज्जा , पुट्ठो केणइ कण्हुई ।। त्ति बेमि
• बीअं अज्झयणं समत्तं .
० तइयं अज्झयणं-चाउरंगिज्जं . [१६] चत्तारि परमंगाणि दुल्लहाणिह जं तुणो ।
माणुसत्तं सुई सद्धा , संजमंमि य वीरीयं ।। [९७] समावन्नाण संसारे , नाणागोत्तासु जाइसु ।
कम्मा ना नाविहा कट्ठ , पुढो विस्संभया पया || [९८] एगया देवलोएसु , नरएसु वि एगया
ए गया आसुरं कायं , अहाकम्मेहिं गच्छई ।। [९९] एगया खत्तिओ हो इ, तओ चं डालबुक्कसो ।
तओ कीडपयंगो य , तओ कुं थुपिपीलिया ।। [१००] एवमावट्टजोणीसु, पाणिणो कम्मकिव्विसा ।
न निविज्जं ति संसारे , सव्वढेसु व खत्तिया ।। [१०१] कम्मसंगेहिं सं मूढा, दुक्खिया बहुवेयणा ।
अमाणुसासु जोणीसु , विनिहम्मंति पाणिणो ।। [१०२] कम्माणं तु पहाणाए , आनुपुव्वी कयाइ उ ।
जीवा सोहिम नुप्पत्ता, आययंति मणुस्सयं ।। [१०३] मानुस्सं विग्गहं लटुं , सुई धम्मस्स दुल्लहा ।
जं सोच्चा पडिवज्जं ति, तवं खंतिमहिंसयं ।। [१०४] आहच्च सवणं लद्धं , सद्धा परमदुल्लहा ।
सोच्चा नेआउयं मग्गं , बहवे परिभस्सई ।। [१०५] सुइं च लद्धं सद्धं च , वीरियं पुण दुल्लहं ।
बहवे रोयमाणावि , नो य णं पडिवज्जए || [१०६] मानुसत्तंमि आयाओ , जो धम्म सोच्चा सद्दहे
तवस्सी वीरीयं लद्धं , संवुडे निझुणे रयं ।। [१०७] सोही उज्जुयभूयस्स , धम्मो सुद्धस्स चिट्ठई
निव्वाणं परमं जाइ , घयसित्तिव्व पावए || [१०८] विगिंच कम्मुणो हेउं , जसं संचिणु खंतिए ।
सरीरं पाढवं हिच्चा , उड्ढं पक्कमई दिसं ।।
दीपरत्नसागर संशोधितः]
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[४३-उत्तरज्झयणं]
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