Book Title: Agam 43 Uttarjjhayanam Chauttham Mulsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 8
________________ । नागो संगामसीसे वा , सूरो अभि भवे परं ।। [६०] न संतसे न वारेज्जा , मनं पि न पओसए उवेहे न हणे पाणे , भुजंते मंससोणियं ।। [६१] परिजुण्णेहिं वत्थेहिं , होक्खामि त्ति अचेलए । अज्झयणं-२ अदुवा सचे लए हो क्खं, इइ भिक्खू न चिंतए || [६२] एगयाऽचेलए होइ , सचेले यावि एगया । एयं धम्महियं नच्चा , नाणी नो परिदेवए ।। [६3] गामाणुगाम रीयं तं, अनगारं अकिंच नं । अरई अ नुप्पवेसेज्जा, तं तितिक्खे परीसहं ।। [६४] अरई पिट्ठओ किच्चा , विरए आयरक्खिए । धम्मारामे निरारं भे, उवसंते मु नी चरे ।। संगो एस मणूसाणं , जाओ लोगं मि इत्थिओ । जस्स एया परिन्नाय , सुकडं तस्स सामण्णं ।। [६६] एवमादाय मेहावी , पंकभूया उ इत्थिओ । नो ताहिं वि निहन्नेज्जा, चरेज्जत्तगवेसए ।। [६७] एग एव चरे लाढे , अभिभूय परीसहे । गामे वा नगरे वाऽवि , निगमे वा रायहाणिए || [६८] असमाणे चरे भिक्खू , नेव कुज्जा परिग्गहं । असंसत्ते गिहत्थेहिं , अनिएओ परिव्वए || सुसाणे सुन्नगारे वा , रुक्खमूले य एगओ । अकुक्कुओ निसीएज्जा , न य वित्तासए परं ।। तत्थ से चिट्ठमाणस्स , उवसग्गेऽभिधारए । संकामीओ न गच्छेज्जा , उद्वित्ता अन्नमास नं ।। [७१] उच्चावयाहिं सेज्जाहिं , तवस्सी भिक्खू थामवं । नाइवेलं विहन्निज्जा , पावदिट्ठी विहन्नई ।। [७२] पइरिक्कुवस्सयं लद्धं , कल्लाणं अ दुव पावयं । किमेगराई करिस्सइ ?, एवं तत्थऽहियासए ।। [७३] अक्कोसेज्जा परो भिक्खू , न तेसिं पडिसंजले । सरिसो होइ बालाण , तम्हा भिक्खू न संजले ।। [७४] सोच्चाणं फसुसा भासा , दारुणा गामकं टगा । तुसिणीओ उवेहेज्जा , न ताओ म नसीकरे ।। [७५] हओ न संजले भिक्खू , मपि न पओसए । तितिक्खं परमं नच्चा , भिक्खू धम्म समायरे || [७६] समणं संजयं दंतं , हणिज्जा कोs वि कत्थ वि । दीपरत्नसागर संशोधितः] [7] [४३-उत्तरज्झयणं]Page Navigation
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