Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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नमो नमो निम्मत सणस्स
पंचम गणपर श्री तुपर्मा स्वामिने नमः १४ जीवाजीवाभिगम
| तइयं उवंग सुतं
पढमा पडियत्ती-दुविहपडियत्ती (१) नमो अरिहंताणं नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं नमो उवज्झायाणं नमो लोए सव्वसाहूणं, नमो उसभादियाणं चउवीसाए तित्थगाणं, इह खलु जिणमयं जिणाणुमयं जिणाणुलोमंजिणपणीतं जिणपरूवियं जिणक्खायं जिणाणुचिषणं जिणपत्रतं जिणदेसियं जिणपसत्थं अनुवीइ तं सद्दहमाणातंपत्तियमामा तं रोएमाणा थेरा भगवंतो जीवाजीवाभिगमं नापज्झयणं पन्नवइस11-1
(२) से किं तं जीवाजीवाभिगमे, जीवाजीवाभिगमे दुविहे पत्रत्ते तं जहा-जीवाभिगमे य अजीवाभिगमे य।२।-2
(३) से किं तं अजीवाभिगमे, अजीवाभिगमे दुविहे पत्रत्तं तं जहा रूविअजीवाभिगमे य अरूदिअजीवाभिगमे या३।-3
(४) से किं तं अरूविअजीवाभिगमे अरूविअजीवाधिगमे दसविहे पन्नत्ते तं जहा-धम्मस्थिकाए[धम्मत्यिकायस्सदेसे धमस्टिकायस्सपदेसाअधम्पत्थिकाएअधम्मस्थिकायस्सदेसे अधम्म स्थिकायस्सपदेसा आगासस्थिकाए आगासस्थिकायस्सदेसे आगासस्थिकावस्सपदेसा अद्धासमए) सेत्तं अरूविअजीवाभिगमे।४14
(५) से किं तं रूविअजीवाभिगमे रूविअजीवाभिगमे चउब्यिहे पन्नत्ते तंजहा-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला ते समासओ पंचविहा पत्रत्ता तं जहा-वण्णपरिणया गंधपरिणया रसपरिणया फासपरिणया संठाणपरिणया जे वण्णपरिणता ते पंचविहा पत्रत्ता तंजहा कालवण्णपरिणता नीलवपणपरिणता लोहियवण्णपरिणता हालिद्दवण्णपरिणता सुक्किलवण्णपरिणता जे गंधपरिणता ते दुविहा पत्रत्ता तं जहा-सुटिभगंधपरिणता य दुब्भिगंधपरिणता य जे रसपरिणता ते पंचविहा पन्नत्ता तंजहा-तित्तरसपरिणता कडुयरसपरिणता कसायासपरिणता अंबिलरसपरिणता महुररसपरिणताजे फासपरिणता ते अविहा पन्नत्ता तंजहा-कक्कडफासपरिणता पज्यफासपरिणता गरुयफासपरिणता लहुयफासपरिणता सीयफासपरिणता उसिणफासपरिणता निद्धफासपरिणता लुखफासपरिणताजे संठाणपरिणता ते पंचविहा पन्नता तं जहा-परिमंडलसंठाणपरिणता वट्टसंठाणपरिणता तंससंठाणपरिणता चउरंससंठाणपरिणता आयतसंठाणपरिणता एवं ते जहा पनवणाए सेत्तं रूविअजीवाभिगमे सेत्तं अजीयाभिगमे।५।-5
(६) से किं तंजीवाभिगमे, जीवाभिगमे दुविहे पन्नतेतंजहा-संसारसमावण्णजीवाभिगमे य असंसारसमावण्णजीवाभिगमे या
(७) से किं तं असंसारसमावण्णाजीवाभिगमे असंसारसमावण्णजीवाभिगमे दुबिहे पन्नत्ते तं जहा-अनंतरसिद्धासंसारसमावण्णजीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसारसमावण्णजीवाभिगमे य से किं तं अनंतरसिद्धासंसारसमावण्णजीवाभिगमे अनंतरसिद्धासंसारसमावण्णजीवाभिगमे पन्नास
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