Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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॥ णमोरयणं समणस भगवओ महावीरस ॥
गणधर महाराज श्रीसुधर्मस्वामी प्रणीत
श्री उपासकदशांग सूत्र
प्रथम अध्ययन
आनन्द श्रमणोपासक
तेणं काले ण ते णं समपूर्ण चंपा णाम णयरी होत्था, षण्णओ, पुण्यभद्दे धेइए, वण्णओ ॥१॥ ते णं काले णं ते णं समएणं अज्जमुहम्मे समोसरिए जाप जंतू पझुवासमाणे एवं बयासी-जड़ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तणं छट्टरस अंगस्स णायाधम्मकहाणं अयमढे पपणत्ते, सत्तमस्स णं भंते ! अंगरस उवासगदमाणं समजेणं जाव संपत्तेणं के अद्वे पण्णते ? एवं खलु जन् ! समणेणं जाव संपत्तणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं वस अजमयणा पणत्ता, तं जहा
आणंदे कामदेवे य, गाहण्इ 'चुलापिया । मुरादेवे चुल्लसया, गाहावइ कुंडकोलिए।
सहालपुत्त महासयए मंदिणीपिया सालिहीपिया ।। सू.२॥ जइ णं मत ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमरस अंगरस उवामगदसाणं
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