Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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श्री उपासकदशांग सूत्र -१
गौतम | वहाँ से आयु, स्थिति एवं भव का क्षय कर महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त यावत् समाना
॥ श्री उपासक
सूत्र का प्रथम अध्ययन सम्पूर्ण 11
विवेचन - श्रमणोपासक आनन्दजी को सत्वशीलता, निर्भीकता, स्पष्टता और सत्य प्रकट करने का साहस अनुकरणीय है। उन्हें जितना अवधिज्ञान हुआ, उतना गौतमस्वामी से निवेदन किया । अनुपयोगमा गौतमस्वामी ने उन्हें प्रायचित का फरमाया तो उन्होंने यह विचार नहीं किया कि 'ये भगवान् के प्रथम गणधर, प्रधान शिष्य, तथा मुख्य अंतेवासी हैं। में इनका कहा मान कर प्रायश्चित्त
हूँ । कदाचित् मेरी बात ठीक न हो । क्या ये झूठ कह सकते हैं ?' उन्होंने निर्भीकता पूर्वक स्पष्ट निवेदन किया कि 'जिनशासन की यह रीति-नीति नहीं रही। यहां सच्चे को सच्चा एवं निर्दोष को निर्दोष माना गया है। मैंने तो अंसा देखा, बेसा निवेदन किया है ।'
|| प्रथम अध्ययन समाप्त //