Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 135
________________ १२२ श्री उपासकदागि सूत्र और मुद्रिका का ७ भार्या का ८ रेवती पत्नी का ६-१० के कोई उपसर्ग नहीं हुआ। सौधर्म-स्वर्ग में हुए 3ज विमानों के नामअरुगे अरुणाभे खल्लु, अरुणप्पह-अरुणकंन सिटे य । अरुणज्झए य ण्डे, भूय-वरिसे गवे कीले ॥२॥ १ अक्षण २ अरुणाम ३ अरुणप्रम ४ अरुणकांत ५ अवशिष्ट ६ अरुणध्वज ७ अरुणभूत ८ अरुणावतंस ९ अरुणगव और १० अरुणकिल विमान में उत्पन्न हए । गोधन की संख्या थाली सट्टि असीई, सट्ठी सट्ठी ग सट्टि दम महस्मा। भसिई चत्ता पत्ता, एए षड्याण य सहस्साणं ॥२॥ १चालीस हजार २ साठ हजार ३ अस्सी हजार ४ साठ हजार ५ साठ हजार ६ साठ हजार ७ बस हजार ८ अस्सी हजार ९ चालीस हजार और १० सालीस हजार गौए थी। श्रावकों की धन सम्पत्तिपारस अट्ठारस चउवीसं तिथि भट्टरसाह णेयं । धपणेण ति चोवीस, पारस पारस य कोडीओ ॥७॥ १ बारह हिरण्यकोटि २ अठारह हिरण्यकोटि ३ चौबीस हिरण्यकोटि ४ अठारह हिरण्यकोटि ५ अठारह हिरण्यकोटि ६ अठारह हिरण्यकोटि ७ एक हिग्यकोटि ८ चौबीस हिरण्यकोटि ९ बारह हिरण्यकोटि और १० के बारह हिरण्यकोटि धन पा। उपभोग रिभोग के नियमउल्लण-वंतवण-फले अभिगणुस्वहणे मिणाणे य । वन्य-विलेवण-पुप्फे, आमरणं धूध-पेज्जार ८ १ आनाजी को किमी प्रकार का उपसर्ग नहीं हुआ । गोतमस्वामी गे सम्माद होना च विशेष घटना है, उपसर्ग नही। यहीबार कालिकजी के विषय में है। अन्य रफी सेवन उपनर्मइएमाता पिारितोसिम होने के निमित। अतएव पारको उपाय-रहंत मानन्ध 'षितमसा गायों .

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