Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
View full book text
________________ फामदेवजी की मझाय 129 जगदलबेदनः नाचीजी, उरगा नहीं तिल मात्र / सूर थाकी प्रकट हवोजी, देवता रूप साक्षात // 10 // करजोड़ी विनवे, पारा मुरपति किया रे बक्षाण / मैं ममति सरण्यो नहीं, याने उपसर्ग दियो भाम // 1 // मन करी इगिया नहीं जी, में धर्म पाया परिमाण / खमो अपराध माहरो कही, देव गपो निज स्थान // 12 // वीर जिनन्द समोसर्याजी, कामदेष बन्दम जाप / वीर कहे उपसर्ग नियोजी, देव मिथ्यात्वी आय // 13 // हां स्वामीमी सांच छ, जब श्रमण श्रमणी बुलाय / घर बेठा उपसगं सहो, म प्रशंसे जिनराय // 14 // बीस वरस शुद्ध पालियाजी, श्रावक ना प्रत पार / देवलोक मा उपन्या, चवी जासे मोक्ष मझार // 15 // मरुधर देश सुहामणोजी, जयपुर कियो थोमास / अष्टावस शत छयासीए, खुशालचन्द जोड़ी प्रकाश // 16 // ATV