Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 136
________________ उपासकदाग का संक्षेप में परिचय देने वाली गाथाएँ भक्खोयण-सुख-घए सागे माहुर-जेमणऽण्ण-पाणे य। तंयोले गयीसं, भाणंचाईण अभिग्गाहा ॥२॥ सभी अमणोपासकों के शरीर पोंछने का अंगोछा २ दातुन ३ फल ४ तेल अभ्यंगन ५ उबटन ६ स्नान ७ वस्त्र ८ चन्दनादि विलेपन ९ पुष्प १० आमरण ११ धूप १२ पान १३ मिष्ठान्न १४ चावल १५ वाल १६ घत १७ शाक १८ मघरक (फन) १९ मोजन २० पानी और २१ मुखवास ।। अवधिज्ञान का परिमाणउई मोहम्मपुरे लोल्ए अहे उत्तरे हिमयते। पंचसा तह तिदिसिं, मोहिपणाणं वसगणस्स ॥१०॥ अमणोपासक अवधिज्ञान से उध्वंलोक में सौधर्म-देवलोक सक, अधोलोक में रत्नप्रमा पृथिवी के लोलयच्चय नरकावास तक, उत्तर में हिमवंत वर्षधर पर्वत तक और पूर्व-पश्चिम और दक्षिण में पांच सौ योजन लवणप्तमा में जान-बेल सकते थे। प्रतिमाओं के नामदसण-पप-सामाइप पोसह-परिमा-अर्षभ-सश्चित्ते। आरंभ-पेस-उद्दिन बज्जए समणए य ॥११॥ इक्कारस पडिमाओ, बीसं परियाओ अणसणं मासे । सोहम्मे चउपलिया, महाविदेहमि सिज्झिहिह" ॥१२॥ १ दर्शन प्रतिमा २ व्रत प्रतिमा ३ सामायिक ४ पौषध ५ कायोत्सर्ग ६ब्रह्मपर्य ७ सचिस आहार स्याग ८ स्वयं आरम्म-वर्जन १ मतक प्रेग्यारंभ वर्जन १० सहिष्ट. भक्त वर्जन और ११ श्रमणभूत प्रतिमा। + यहाँ अन्तर मालूम देता है । सूत्र के अ. ८ में महागातफ घमणोयामक को एक बार योगा सकसपणसमुद्र में देवाना मिखा है। अन्म मपी को पांच मी योपन है।

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