Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashakdashang Sutra
Author(s): Ghisulal Pitaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 130
________________ पमणापासक नंदिनीपिता अर्थ-विनीपिता बत धारण कर श्रमणोपासक बन गए। बीवानीव के माता यावत् साध-साध्वियों को प्रासुक-एषणीय आहार बहराने लगे। चौवह वर्ष के बाब ज्येष्ठ. पुत्र को कुटम्ब का मुखिया नियुक्त कर दिया । उपासक की ग्यारह प्रतिमाओं की आराधमा तथा अन्य तपश्चर्या आदि से बीस वर्ष तक की धमणोपासक पर्याय का पालन कर, मासिकी संलेखना से सौधर्म वेवलोक के अरणगवे विमान में उत्पन्न हो गए। वहाँ चार पल्योपम की स्थिति भोग कर और महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध-बुद्ध-मुक्त होंगे। ॥ नवम अध्ययन समाप्त ॥

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